ग्वालियर में अपनी मां की हत्या करने वाले भाइयों के खिलाफ लोगों में गुस्सा है। बेटों ने नौ महीने तक उन्हें जन्म देने वाली और असहनीय पीड़ा झेलने वाली मां को बोझ समझा...उससे छुटकारा पाने के लिए उसे यातनाएं दीं और मार डाला। पिशाच बने बेटों ने जिस तरह अपनी मां की हत्या की, उसका पूरा ब्योरा सामने आने के बाद हर कोई हैरान है।
स्वर्गीय परमलाल कोष्टा की पत्नी 88 वर्षीय कमला की हत्या उसके बेटों डालचंद (53) और प्रेम नारायण उर्फ पप्पू (42) ने 9 दिसंबर को कर दी, लेकिन उससे पहले वे उसे हर पल प्रताड़ित करते रहे। इन निर्दयी बेटों ने चलने में असमर्थ अपनी मां को इस हद तक प्रताड़ित किया कि सोचकर ही रूह कांप उठती है।
इस घटना के बाद शुक्रवार को जब नईदुनिया की टीम मौके पर पहुंची तो आसपास रहने वाले लोग बेटों की हैवानियत की कहानी बताते हुए रोने लगे। लोगों ने कहा...वे बेटे नहीं, बेटे के रूप में राक्षस थे। इन दोनों ने अपनी मां को खुली छत पर टूटी खाट पर कपड़े और बीम से बंधी पॉलीथिन से ढककर रखा था। न तो उसे ओढ़ने के लिए चादर दी और न ही खाने-पीने का इंतजाम किया। ताकि...अधिक ठंड लगे और मां की मौत हो जाए। फिर 9 दिसंबर को वे आपा खो बैठे और अपनी मां की बेरहमी से गला घोंटकर हत्या कर दी।
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लोगों ने नईदुनिया टीम के सामने अमानवीयता की पूरी कहानी बयां की। एक महिला ने बताया- उसके पति डेयरी चलाते हैं, घर में भैंसें पाली जाती हैं। कमला पिछले एक महीने से डालचंद के घर की छत पर थी। इन लोगों ने उसे घर के कमरे में भी नहीं रखा।
प्रेम नारायण कोटा वाला मोहल्ला में किराए से रहता है, इसलिए वह उसे किराए के मकान में नहीं ले जाना चाहता था। जिस मकान में डालचंद रहता है, वह उसकी सास का है। उसकी पत्नी भी विरोध करती थी। छत पर बीम से कपड़ा और पॉलीथिन बांधकर उसे खुले में छोड़ दिया। खाट पर बिछाने के लिए चादर तक नहीं थी।
वह ठंड में कांपती रहती थी, लेकिन बेटों को जरा भी दया नहीं आई। यह रजाई छत पर फेंकी गई थी, बुढ़िया ने इसी रजाई को ओढ़ा हुआ था। जब एफआईआर दर्ज हुई तो एक-एक महीने तक उसे रखने का ड्रामा हुआ। पिछले छह महीने से मां बीमार रहने लगी थी। वहीं बेटों ने उसे छोड़ दिया। उन्होंने उसे घर से निकाल दिया। राय कॉलोनी में रहने वाले कुछ लोग उसे थाने ले गए। दोनों बेटों को थाने बुलाया गया, लेकिन वे दोनों वहां से भाग गए। उस समय एसआई संजय शर्मा ने एफआईआर दर्ज की थी।
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इस पर दोनों बेटों ने एक-एक महीने तक उसे अपने साथ रखने का समझौता कर लिया। उन्होंने इसकी जानकारी कोर्ट को भी दी, लेकिन यह सब नाटक था। इसके बाद उन्होंने उसे खाना-पीना और दवा देना भी बंद कर दिया। पड़ोसी अक्सर छत पर चोरी-छिपे रोटी या कोई और खाने का सामान भेज देते थे। बुढ़िया मानसिक रूप से भी बीमार हो गई थी।
डालचंद कोष्टा, उम्र 53 साल, निवासी राय कॉलोनी: सोते समय दोनों हाथ पकड़े ताकि वह विरोध न कर सके।
प्रेम नारायण उर्फ पप्पू कोष्टा, उम्र 42 साल, निवासी कोटावाला मोहल्ला: बाएं हाथ से मुंह पकड़ा ताकि वह चिल्ला न सके और दाएं हाथ से गला घोंटा। मां का सिर चारपाई पर था, इसलिए ज्यादा दबाव पड़ने से हड्डी टूट गई। कान और नाक से खून भी निकला।
एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस ने सुबह-सुबह डालचंद और प्रेमनारायण उर्फ पप्पू को गिरफ्तार कर लिया। थाने लाकर जब उनसे पूछताछ की गई तो उन्होंने हत्या की बात स्वीकार कर ली। इसके बाद दोनों थाने में ही फूट-फूटकर रोने लगे।
दोनों ने कहा कि उन्होंने ऐसा पाप किया है, जिससे उन्हें इस जन्म में ही नहीं, बल्कि किसी भी जन्म में मुक्ति नहीं मिल सकती। उन्होंने उसी को मार डाला, जिसने उन्हें जन्म दिया। पता नहीं कानून उन्हें क्या सजा देगा, लेकिन उन्होंने ऐसी वारदात की है कि वे खुद की नजरों में गिर गए हैं।
पुलिस ने तकनीकी और वैज्ञानिक साक्ष्य जुटाने के लिए री-क्रिएशन किया। इसमें इंस्पेक्टर संजय शर्मा वृद्ध महिला की तरह खाट पर लेटा। फिर प्रेमनारायण ने गला घोंटते दिखाया। डालचंद पीछे खड़ा उसका हाथ पकड़े हुए था।