केन-बेतवा लिंक परियोजना बुंदेलखंड की तस्वीर बदलने में अहम भूमिका निभाएगी। यह परियोजना मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के जल संकट को दूर करने के लिए शुरू की गई है। इसके तहत केन और बेतवा नदियों के पानी को जोड़ा जाएगा, जिससे 10 लाख हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को खजुराहो आ रहे हैं और बुंदेलखंड की तस्वीर बदलने वाली 44,605 करोड़ रुपये की इस परियोजना का शिलान्यास करेंगे। पीएम मोदी की सभा के लिए खजुराहो के मेला मैदान में भव्य पंडाल सजाया गया है।
यहां दो लाख से ज्यादा लोगों की मौजूदगी में पीएम मोदी केन बेतवा लिंक परियोजना के निर्माण का शुभारंभ करेंगे। जानिए बुंदेलखंड क्षेत्र की तस्वीर बदलने वाली इस परियोजना के बारे में।
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केन बेतवा लिंक परियोजना के तहत पन्ना टाइगर रिजर्व में केन नदी पर 77 मीटर ऊंचा और 2.13 किलोमीटर लंबा दौधन बांध बनाया जाएगा।
2 सुरंगों का निर्माण कर बांध में 2,853 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी संग्रहित किया जाएगा।
केन नदी पर दौधन बांध से 221 किलोमीटर लंबी लिंक नहर के जरिए एमपी यूपी के 14 जिलों को फायदा होगा।
मध्य प्रदेश के 10 जिलों पन्ना, दमोह, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, सागर, रायसेन, विदिशा, शिवपुरी और दतिया के 2 हजार गांवों में 8.11 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी। इससे करीब 7 लाख किसान परिवार लाभान्वित होंगे।
केन-बेतवा परियोजना से उत्तर प्रदेश के 59 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में वार्षिक सिंचाई सुविधा मिलेगी और 1.92 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मौजूदा सिंचाई का स्थिरीकरण होगा। जिससे उत्तर प्रदेश के महोबा, झांसी, ललितपुर और बांदा जिलों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।
इस परियोजना से मध्य प्रदेश की 44 लाख और उत्तर प्रदेश की 21 लाख आबादी को पेयजल सुविधा मिलेगी। साथ ही, इस परियोजना से 103 मेगावाट जलविद्युत और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन होगा।
इस परियोजना के तहत चंदेलकालीन तालाबों को संरक्षित करने का काम किया जाएगा। मध्य प्रदेश के छतरपुर, टीकमगढ़ और निवाड़ी जिलों में चंदेलकालीन 42 तालाबों की मरम्मत और जीर्णोद्धार किया जाएगा।
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बुंदेलखंड में सूखे और पलायन ने लोगों की कमर तोड़ दी है। यह सूखा परिवारों को पलायन के लिए मजबूर कर रहा है। लेकिन केन बेतवा परियोजना बुंदेलखंड के लिए मील का पत्थर साबित होगी।
क्योंकि यह परियोजना दौधन बांध से केन बेतवा तक आकार लेगी और बुंदेलखंड के सूखे को समाप्त करेगी। सूखाग्रस्त बुंदेलखंड क्षेत्र में भूजल स्तर में सुधार होगा, औद्योगीकरण, निवेश और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।