ग्वालियर के डबरा में हुए जसवंत सिंह गिल हत्याकांड की जांच अब एनआईए की टीम कर रही है। खालिस्तानी आतंकी अर्शदीप दल्ला और उसके करीबी प्रिंस के इशारे पर यह हत्या की गई थी। शूटरों को 5 लाख रुपए और कनाडा की सैर कराने का वादा किया गया था। जंगी ऐप से निर्देश मिल रहे थे।
ग्वालियर के डबरा में 7 नवंबर को हुए जसवंत सिंह गिल हत्याकांड की जांच के लिए एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) की टीम ग्वालियर पहुंच गई है। एनआईए की तीन सदस्यीय टीम और ग्वालियर के पुलिस अधिकारी जांच में जुटे हैं। एनआईए की टीम जांच के लिए इसलिए आई है क्योंकि जसवंत हत्याकांड के तार खालिस्तानी आतंकी अर्शदीप दल्ला से जुड़े हैं।
दल्ला के निर्देश पर उसके करीबी प्रिंस ने जसवंत की हत्या की सुपारी शूटर नवतोज सिंह उर्फ नीटू और अनमोलप्रीत सिंह उर्फ विशाल को दी थी। फंडिंग सतपाल धारीवाल के जरिए हुई थी। इससे शक पैदा होता है कि अर्श दल्ला और सतपाल के बीच कोई कनेक्शन है। इसी के चलते अब जसवंत हत्याकांड में एनआईए की एंट्री हो गई है।
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बता दें कि 7 नवंबर को जसवंत सिंह गिल की हत्या उनके घर के बाहर बाइक पर आए दो शूटरों ने कर दी थी। जसवंत की हत्या उनके रिश्तेदार सतपाल ने की थी, क्योंकि सतपाल के भाई की हत्या जसवंत ने ही की थी।
जब जसवंत पैरोल पर जेल से बाहर आया तो उसे भाड़े के शूटरों ने मार डाला। दोनों शूटरों को पंजाब पुलिस ने मोहाली, पंजाब में पकड़ा था। तब पता चला था कि दोनों शूटर कनाडा में रहने वाले खालिस्तानी आतंकी अर्श दल्ला के निर्देश पर काम करते हैं। दोनों को प्रोडक्शन वारंट पर ग्वालियर लाया गया है। उनसे पूछताछ के लिए एनआईए की टीम भी ग्वालियर आ चुकी है।
शूटरों ने पूछताछ में खुलासा किया है कि बातचीत के लिए उन्हें जंगी ऐप उपलब्ध कराया गया था। जंगी ऐप से इंटरनेट कॉलिंग के जरिए उन्हें अर्श दल्ला के करीबी प्रिंस से निर्देश मिलते थे। इसी पर वे काम करते थे। अर्श दल्ला ने जसवंत की हत्या के बदले पांच लाख रुपये और डॉगी पासपोर्ट पर कनाडा बुलाने का झांसा दिया था।
अर्श दल्ला कनाडा में हुए शूटआउट में जेल जा चुका है, इससे पहले उसने दोनों शूटरों को बताया था कि वह जेल जा रहा है। अब प्रिंस जंगी एप के जरिए उनसे बात करेगा। जेल जाने से पहले अर्श दल्ला उनके संपर्क में था। शूटरों ने बताया कि न तो उन्हें पैसे मिले और न ही वे कनाडा जा सके। दोनों नशे के आदी हैं, इसलिए यह भी कहा गया कि कनाडा में उन्हें काफी नशा दिया जाएगा।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जंगी एप पर महज 10 सेकेंड में डाटा डिलीट हो जाता है। इसे इस्तेमाल करने के लिए किसी मोबाइल नंबर की जरूरत नहीं है। यूजरनेम और पासवर्ड के जरिए ही जंगी नंबर मिलता है।
इसके जरिए इंटरनेट कॉलिंग की जाती है। इसका सर्वर भी कनाडा में है। यहां से जांच एजेंसियों को आसानी से डाटा नहीं मिलता।
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डीएसपी विवेक शर्मा ने बताया कि जसवंत हत्याकांड में सतपाल का कनेक्शन फंडिंग के जरिए साबित हुआ है। अब हम उन्हें भारत लाने के लिए विदेश मंत्रालय को पत्र लिखेंगे। दोनों शूटर 31 दिसंबर तक रिमांड पर हैं। उनकी रिमांड अवधि आगे भी बढ़ाई जाएगी।