- उमर, ममता और अखिलेश, क्या 2025 में बढ़ाएंगे INDI अलायंस का क्लेश; क्यों टेंशन में होगी कांग्रेस

उमर, ममता और अखिलेश, क्या 2025 में बढ़ाएंगे INDI अलायंस का क्लेश; क्यों टेंशन में होगी कांग्रेस

एक तरफ कांग्रेस ने ईवीएम पर सवाल उठाए हैं, वहीं उमर अब्दुल्ला, ममता बनर्जी और सुप्रिया सुले ने इसे खारिज कर दिया है। इन नेताओं का कहना है कि बिना किसी ठोस सबूत के ईवीएम को दोष देना ठीक नहीं है। इस पर कांग्रेस भड़क गई और उमर अब्दुल्ला पर तीखा हमला बोला। 4 जून 2024। इस तारीख को जब लोकसभा चुनाव के नतीजे आए तो बीजेपी जीतने के बाद भी परेशान थी कि काफिला 240 सीटों पर क्यों रुक गया, जबकि दावे 400 के थे और कुछ महीने पहले स्थिति अनुकूल लग रही थी।

वहीं कांग्रेस 99 सीटें पाकर हैरान थी और इसे अपने लिए खिताब मान रही थी। लंबे समय बाद ऐसा हुआ कि विपक्ष की सीटें करीब 230 हो गईं और मोदी सरकार को नीतीश और नायडू की मदद से सत्ता हासिल करनी पड़ी। विपक्ष के लिए यह उत्साह की बात थी और राहुल गांधी भी लगातार दोहरा रहे थे कि हमने नरेंद्र मोदी का भरोसा हिला दिया है। बीजेपी समर्थक इसे झटका मान रहे थे, लेकिन कुछ महीनों बाद स्थिति फिर बदल गई है।

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पहले हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने दोबारा सत्ता हासिल की, जबकि कहा जा रहा था कि किसान आंदोलन की इस जमीन पर कांग्रेस मजबूत है। जम्मू-कश्मीर में जहां भारतीय जनता पार्टी गठबंधन ने जीत दर्ज की, वहीं कांग्रेस कमजोर रही। कश्मीर में उसे जीरो मिला और जम्मू में भी वह काफी कमजोर रही। फिर महाराष्ट्र के नतीजों ने कांग्रेस और पूरे विपक्ष को बड़ा झटका दिया। बीजेपी की अगुआई वाली महायुति ने दोबारा सत्ता हासिल कर ली और देवेंद्र फडणवीस सीएम बन गए।

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लेकिन इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी गठबंधन में महाभारत भी शुरू हो गई है। एक तरफ कांग्रेस ने ईवीएम पर सवाल उठाए हैं, वहीं उमर अब्दुल्ला, ममता बनर्जी और सुप्रिया सुले ने इसे खारिज किया है। इन नेताओं का कहना है कि बिना किसी ठोस सबूत के ईवीएम को दोष देना ठीक नहीं है। कांग्रेस भड़क गई और उमर अब्दुल्ला से यहां तक ​​पूछ लिया कि मुख्यमंत्री बनने के बाद आपकी भाषा क्यों बदल गई है। इतना ही नहीं अखिलेश यादव ने भी कांग्रेस को दबाव में रखने की कोशिश की है।

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दिल्ली में वह आम आदमी पार्टी के चुनावी मंच पर तो गए हैं, लेकिन कांग्रेस से दूरी बनाए रखी है। यूपी में कांग्रेस के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ने के बाद भी अखिलेश दिल्ली में आप को इतनी अहमियत क्यों दे रहे हैं? इसे कांग्रेस पर दबाव बनाने की रणनीति माना जा रहा है। दरअसल, इंडी गठबंधन में दरार की एक वजह यह भी है कि ममता बनर्जी ने हाल ही में कांग्रेस के नेतृत्व पर सवाल उठाए थे। टीएमसी ने कहा कि ममता बनर्जी को इंडी गठबंधन का नेतृत्व मिलना चाहिए।

 

इस पर शरद पवार ने भी कहा कि ममता बनर्जी में नेतृत्व करने की क्षमता है। इतना ही नहीं, लालू यादव ने भी कुछ ऐसा ही जवाब दिया। साफ था कि लालू यादव बिहार में सीट बंटवारे से पहले ऐसा इसलिए कह रहे थे ताकि कांग्रेस पर दबाव बनाया जा सके। यह चुनावी राजनीति की रस्साकशी है, लेकिन यह भी सच है कि 4 जून के बाद से गठबंधन की कोई बैठक नहीं हुई है। चुनाव से पहले मुंबई, बेंगलुरु और पटना आदि जगहों पर बैठकें हुई थीं, लेकिन अब कोई भी नेता तालमेल पर जोर नहीं दे रहा है। ऐसे में अगले लोकसभा चुनाव तक गठबंधन की तस्वीर क्या होगी। इस बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है।

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