- सेहत का नया अध्याय: 60 की उम्र के बाद खानपान में समझदारी क्यों ज़रूरी है?

सेहत का नया अध्याय: 60 की उम्र के बाद खानपान में समझदारी क्यों ज़रूरी है?

60 पार की उम्र – वक्त है खानपान में बदलाव लाने का


जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, शरीर की कार्यप्रणाली भी बदलने लगती है। 60 की दहलीज़ पार करने के बाद शरीर को पहले जैसी ऊर्जा और पाचन क्षमता नहीं मिलती। ऐसे में अगर आप अब भी वही पुराना खानपान अपनाए रखेंगे, तो न केवल पाचन संबंधी समस्याएं बढ़ेंगी, बल्कि थकान, नींद की गड़बड़ी और मानसिक तनाव भी सताने लगेंगे।

उम्र के इस चरण में ज़रूरत है – ऐसे भोजन की जो न केवल शरीर को ऊर्जा दे, बल्कि हल्का, पौष्टिक और पचाने में आसान हो।

❌ भारी और तला-भुना खाना अब नहीं चलेगा
60 के बाद पाचन क्रिया धीमी पड़ती है। ऐसे में समोसे, कचौरी, भुजिया या चकली जैसे भारी और तले हुए स्नैक्स शरीर पर बोझ बन जाते हैं। ये न केवल गैस और एसिडिटी का कारण बनते हैं, बल्कि पूरे दिन शरीर में भारीपन और थकावट का एहसास भी कराते हैं।

ध्यान रखें: बार-बार चाय के साथ तली चीजें खाने की आदत धीरे-धीरे सेहत बिगाड़ सकती है।

✅ बेहतर विकल्प क्या हो सकते हैं?
भुने हुए मखाने

मूंग दाल या बेसन चीला

जीरा-हींग वाली हल्की सब्ज़ियां

ढोकला, इडली या स्टफ्ड रोटी

❌ मीठा और मैदा – धीरे-धीरे ज़हर बन सकता है
इस उम्र में मिठाइयों और मैदे से बने खाद्य पदार्थों से विशेष दूरी बनाना जरूरी है। बाजार के बिस्किट, केक, मिठाइयां और मैदे के नाश्ते देखने में लुभावने हो सकते हैं, लेकिन ये शरीर में शुगर लेवल बढ़ाकर थकान, कब्ज और मधुमेह जैसी समस्याएं पैदा करते हैं।

✅ मीठे का सेहतमंद विकल्प क्या हो सकता है?
तिल-गुड़ के लड्डू

1-2 खजूर या अंजीर

रागी या बाजरे के लड्डू

भोजन के बाद थोड़ा गुलकंद

मैदे की जगह मिलेट्स (बाजरा, जौ) की रोटी

❌ ठंडा, खट्टा और डिब्बाबंद – पाचन का दुश्मन
अचार, ठंडी चीज़ें और बाजार के पैक्ड ड्रिंक्स – ये सब 60 की उम्र में पाचन को कमजोर करते हैं और शरीर में वात, गैस, जलन जैसी समस्याएं बढ़ाते हैं। तीखे अचारों में सोडियम की मात्रा ज़्यादा होती है, जो ब्लड प्रेशर असंतुलित कर सकता है। वहीं, फ्रिज में रखे ठंडे पेय और सलाद पाचन अग्नि को धीमा करते हैं।

✅ इनका हेल्दी विकल्प क्या हो सकता है?
घर में बना कम मसाले वाला नींबू/आंवला अचार

पुदीना या धनिए की ताज़ा चटनी

गुनगुना सूप (सब्जियों या दालों का)

जीरा या धनिया वाला छाछ

नींबू-पुदीना पानी या हर्बल ड्रिंक (जीरा-धनिया का काढ़ा)

? अंत में – उम्र नहीं, समझदारी मायने रखती है
उम्र के इस पड़ाव में खाना सिर्फ पेट भरने के लिए नहीं, बल्कि सेहत बनाए रखने का जरिया है। अगर आप थोड़ी समझदारी दिखाकर हल्के, सुपाच्य और पौष्टिक भोजन को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लें, तो न केवल बीमारियों से बचा जा सकता है, बल्कि आप दिनभर ऊर्जावान भी बने रहेंगे।

✅ आज से शुरू करें ये छोटे बदलाव:
ज्यादा उबला और भुना हुआ खाना खाएं

तली चीज़ों की जगह भाप से पकी डिश चुनें

रिफाइंड चीनी की बजाय प्राकृतिक मिठास अपनाएं

हल्के मसाले, कम नमक और देसी अनाज को तरजीह दें

? क्योंकि साठ के बाद भी जिंदगी है लंबी – बस थाली थोड़ी समझदारी से सजाएं।

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