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मिग-21 की तरह की क्या उड़ता ताबूत बन गया जगुआर? पांच महीने में क्रैश की हैट्रिक, क्यों बार-बार इस जेट में हो रहे हादसे
9 जुलाई को राजस्थान के चूरू जिले के भानुदा गाँव के पास भारतीय वायुसेना का एक जगुआर लड़ाकू विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यह विमान सूरतगढ़ एयरबेस से नियमित प्रशिक्षण मिशन के तहत उड़ान पर था और दोपहर करीब 1.25 बजे खेत में आकर गिरा। दुर्घटना में विमान में सवार दोनों पायलटों को गंभीर चोटें आईं, और भारतीय वायुसेना ने इस हादसे की पुष्टि करते हुए मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
यह हादसा ऐसे समय हुआ है जब जगुआर विमानों की सुरक्षा को लेकर पहले से ही सवाल उठ रहे हैं। इस साल यह तीसरी बार है जब भारतीय वायुसेना का कोई जगुआर विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ है। इससे पहले अप्रैल में गुजरात में एक जगुआर क्रैश हुआ था, जिसमें एक पायलट की जान चली गई थी। वहीं मार्च में हरियाणा में भी एक और जगुआर विमान हादसे का शिकार हुआ था। इस तरह पिछले पांच महीनों में जगुआर विमानों की यह तीसरी बड़ी दुर्घटना है, जिससे इन विमानों की तकनीकी स्थिति और रखरखाव पर चिंता बढ़ गई है।
वायुसेना की ओर से इससे पहले मिग-21 विमानों को लेकर भी काफी आलोचना झेली गई थी। मिग-21 को "फ्लाइंग कॉफिन" यानी "उड़ता ताबूत" कहा जाने लगा था, क्योंकि इसके साथ अब तक करीब 200 से अधिक हादसे हो चुके हैं। पिछले कुछ वर्षों में मिग-21 के कई घातक हादसे होने के कारण सरकार ने इन विमानों को चरणबद्ध तरीके से सेवानिवृत्त करने की योजना बनाई थी। अब जगुआर जैसे पुराने लड़ाकू विमानों को लेकर भी वही चिंता सामने आ रही है।
वायुसेना के पास अब यह जिम्मेदारी है कि वह इन दुर्घटनाओं की विस्तृत जांच करे और तय करे कि क्या इन विमानों को सेवा में बनाए रखना सुरक्षित है या उन्हें भी जल्द हटाया जाना चाहिए।
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