- मां के बैठने के लिए सोफा की जगह ताबूत ले आया बेटा, वजह जानकर उड़ जाएंगे होश

मां के बैठने के लिए सोफा की जगह ताबूत ले आया बेटा, वजह जानकर उड़ जाएंगे होश

एक शख्स ने अपनी मां के लिए एक ताबूत खरीदा। हैरानी की बात यह है कि उसने अपनी मां को उस पर बिठाकर जुलूस निकाला। पढ़ें क्या है पूरा मामला।
मन कैरीज़ लिविंग मदर इन कॉफिन: हाल ही में सोशल मीडिया पर एक चौंकाने वाला मामला सामने आ रहा है, जिसके बारे में जानकर आपके चेहरे का रंग उड़ जाएगा। दरअसल, एक शख्स ने अपनी मां के लिए एक ताबूत खरीदा और फिर उसे उस पर बिठाकर जुलूस निकाला। आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन दुनिया में जहां ताबूत (ताबूत पर बैठना) को केवल मृत्यु से जोड़ा जाता है, वहीं चीन के कुछ ग्रामीण इलाकों में यह जीवन और दीर्घायु का प्रतीक बन गया है।

मृत्यु से पहले अंतिम संस्कार (चीनी ताबूत परंपरा)

यहां एक परंपरा है कि जैसे ही कोई व्यक्ति 70 वर्ष की आयु पार करता है, वह अपने लिए एक ताबूत बनवाता है और उसे घर में रखता है। लेकिन सबसे दिलचस्प बात यह है कि वे उस ताबूत का इस्तेमाल रोजमर्रा की जिंदगी में बैठने के लिए कुर्सी की तरह करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस अनोखी आदत से जीवन काल बढ़ता है और व्यक्ति मानसिक रूप से मृत्यु के लिए भी तैयार रहता है। उनके लिए ताबूत कोई डरावनी चीज़ नहीं, बल्कि आत्म-स्वीकृति और सम्मान का प्रतीक है।

जीवित लोगों का अंतिम संस्कार (चीन में मृत्यु उत्सव)

चीन के इन इलाकों में सिर्फ़ ताबूत रखना ही नहीं, बल्कि जीवित व्यक्ति का अंतिम संस्कार करना भी एक उत्सव जैसा होता है। यह कोई 'अंतिम विदाई' नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक परंपरा है, जो जीवन का सम्मान करती है। ऐसे आयोजनों में ताबूतों को जुलूस की तरह ले जाया जाता है और उन्हें 8 या 16 लोग ढोते हैं, जिन्हें लोक मान्यताओं में आठ अमर या आठ वज्र कहा जाता है।

दीर्घायु की परंपरा (70 के बाद त्यार होता है वर्जित)

इस दौरान एक अलिखित नियम यह है कि ताबूत कभी ज़मीन को नहीं छूना चाहिए। इसके लिए दर्जनों लोग तैयार खड़े रहते हैं, ताकि यात्रा बिना किसी रुकावट के पूरी हो जाए। यह पूरा दृश्य न सिर्फ़ भावनात्मक होता है, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी बेहद समृद्ध होता है, जिसमें जीवन और मृत्यु दोनों का समान रूप से आलिंगन किया जाता है।

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