मध्य प्रदेश में खाद की कमी एक गंभीर समस्या बन गई है। ऐसे में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने प्रशासन पर कालाबाजारी और निष्क्रियता का आरोप लगाया है।
मध्य प्रदेश में खाद की समस्या बढ़ती जा रही है और इसी को लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि किसानों को बुवाई के समय खाद नहीं मिल रही है।
'सिर्फ़ टोकन बाँटने तक सीमित प्रशासन'
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पटवारी ने आरोप लगाया कि राज्य के कई ज़िलों में बुवाई के मौसम में किसानों को खाद नहीं मिल रही है। किसान सुबह चार बजे से ही खाद वितरण केंद्रों पर लंबी कतारों में खड़े हैं, लेकिन ज़्यादातर किसानों को चार-पाँच बोरी खाद भी नहीं मिल पा रही है। प्रशासन सिर्फ़ टोकन बाँटने तक सीमित है, जबकि ज़मीनी हक़ीक़त में खाद की उपलब्धता लगभग शून्य है।
कई जिलों में खाद की भारी किल्लत का जिक्र करते हुए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पटवारी ने कहा कि पिछले एक महीने में धार, सीहोर, गुना, रहली, मुरैना, बड़वानी जैसे जिलों में किसानों ने प्रशासन, व्यापारियों और नेताओं की मिलीभगत से खाद की कालाबाजारी का खुलकर विरोध किया है।
'सरकार पर फूटा किसानों का गुस्सा'
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि किसानों ने भैरोंदा-सीहोर मार्ग जाम कर दिया, कृषि मंडियों में लंबी कतारें लग गईं और सागर के रहली में टोकन के बावजूद किसानों को खाद नहीं मिली। बड़वानी और खंडवा में खाद की तस्करी के मामले सामने आए हैं, जिससे किसानों का गुस्सा सरकार पर फूट पड़ा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि खाद का संकट कोई नई बात नहीं है। पिछले पांच सालों से हर खरीफ और रबी सीजन में यही स्थिति बनी हुई है।
किसान कभी आपूर्ति कम होने पर भटकते हैं, कभी प्रशासन की लापरवाही का शिकार होते हैं और कभी कालाबाजारी के खिलाफ आवाज उठाते हैं। अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के कारण 2024 में डीएपी की उपलब्धता में 25 प्रतिशत की गिरावट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इस वर्ष भी जून-जुलाई के पीक सीजन में किसानों को पर्याप्त उर्वरक नहीं मिला।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पटवारी ने राज्य सरकार से सवाल किया है कि किसानों को हर साल सिर्फ़ वादे और दिखावे ही क्यों मिलते हैं, असली राहत और आपूर्ति कब मिलेगी? उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि आपूर्ति श्रृंखला में कोई पारदर्शिता नहीं है।
कालाबाज़ारी के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई नहीं की जा रही है और प्रशासन ज़रूरतमंद किसानों तक उर्वरक की उपलब्धता सुनिश्चित करने में लगातार विफल रहा है। सरकार को इस गंभीर संकट का स्पष्ट जवाब देना चाहिए और उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए तत्काल ठोस कदम उठाने चाहिए, अन्यथा प्रदेश के लाखों किसानों का भविष्य खतरे में पड़ सकता है।