- किसी भी देश को अपनी ऋण जाल कूटनीति में नहीं फंसाता: चीन

किसी भी देश को अपनी ऋण जाल कूटनीति में नहीं फंसाता: चीन

बीजिंग। चीन ने दावा किया है कि वह किसी भी देश को अपनी ऋण जाल कूटनीति में नहीं फंसाता है। उसने ऐसे आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि हमने अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के जरिए दुनिया की मदद की है। इसका सबसे ज्यादा लाभ अफ्रीका देशों को हुआ है। हालांकि, चीन पर सबसे ज्यादा आरोप इन्हीं देशों को अपने कर्ज के जाल में फंसाने के लगते हैं। चीनी कर्ज के कारण ही दक्षिण एशिया के दो देश पाकिस्तान और श्रीलंका लगभग कंगाल हो चुके हैं। श्रीलंका तो अपने कर्ज की किस्त समय से न चुकाकर डिफॉल्ट हो चुका है। वहीं पाकिस्तान अब भी कर्ज को चुकाने के लिए नया कर्ज लेने की नीति पर चल रहा है। 14वीं नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) के पहले सत्र के प्रवक्ता वांग चाओ ने डेब्ट ट्रैप डिप्लोमेसी वाले आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने विश्व बैंक (डब्ल्यूबी) की एक रिपोर्ट के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि अफ्रीकी देशों के बाहरी कर्ज का लगभग तीन चौथाई हिस्सा वास्तव में बहुपक्षीय संस्थानों और कॉमर्शियल क्रेडिटर्स का है। वहीं, चीन अफ्रीका के कर्ज के बोझ को कम करने के लिए काम कर रहा है। वांग ने जोर देकर कहा कि चीन कभी भी कोई राजनीतिक तार नहीं जोड़ता है और न ही कोई स्वार्थी राजनीतिक लाभ चाहता है। उन्होंने कहा कि चीन के दिए हुए कर्ज की चुकाने की राशि किसी भी अन्य जी20 की तुलना में बड़ी है। वांग ने कहा कि चूंकि बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव 10वीं वर्षगांठ मना रहा है, ऐसे में चीन उपलब्धियों की समीक्षा, अनुभव, भविष्य की योजना और बेल्ट एंड रोड सहयोग में नई प्रगति के लिए काम करने के लिए सभी भागीदारों के साथ काम करने के लिए तैयार है। चीन ने डेब्ट ट्रैप डिप्लोमेसी से तब इनकार किया है, जब बीजिंग को गरीब देशों को महंगे बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए ऋण लेने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। चीन कर्ज देकर आखिर में उधार लेने वाले देशों की संपत्ति पर नियंत्रण कर रहा है। हालांकि, चीन का दावा है कि यह एक पश्चिमी अवधारण है, जो एंटी चाइना नैरेटिव को प्रस्तुत करती है। हालांकि, अफ्रीकी देशों में चीन की बढ़ती मौजूदगी और मिलिट्री बेस बनाने की योजना ने चीन के दावों की बखिया उधेड़ दी है। हाल में ही एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है, जिसमें दावा किया गया है कि चीन अफ्रीका के कम से कम 13 देशों में अपना सैन्य अड्डा बनाने की प्लानिंग कर रहा है। इसमें वे देश शामिल हैं, जिन्हें चीन से भारी मात्रा में कर्ज मिला है।भारत के पड़ोसी श्रीलंका और पाकिस्तान भी चीनी कर्ज से बदहाली के कगार पर पहुंच गए हैं। पाकिस्तान पर तो कुल विदेशी कर्ज का 30 फीसदी हिस्सा चीन का है। इसके बावजूद पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड नीचे है। अगर पाकिस्तान को जल्द ही आईएमएफ से कर्ज नहीं मिला तो वह दिवालिया घोषित हो सकता है। वहीं, श्रीलंका के हालात भी कुछ ऐसे ही हैं। बड़ी बात यह है कि श्रीलंका चीनी कर्ज के कारण डिफॉल्ट बना, लेकिन अब वही ड्रैगन इस द्वीपीय देश की सहायता करने से इनकार कर रहा है। वहीं, भारत ने श्रीलंका के मुश्किल हालात में सबसे ज्यादा आर्थिक मदद की है। भारत ने श्रीलंका को खाने-पीने के सामान के अलावा तेल और गैस की भी सप्लाई की है।

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