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गरीब कैदियों को जेल से बाहर आने में मदद करने स्कीम ला रही सरकार
जुर्माना या जमानत राशि देने में असमर्थ कैदियों के लिए है स्कीम
नई दिल्ली। मोदी सरकार एक बड़ा कदम उठाने जा रही है, अब गरीब कैदियों को जेल से बाहर आने में मदद करेगी। इसके लिए सरकार अब एक स्कीम शुरू करने जा रही है, जिसका मकसद जेलों में कैदियों की भीड़ को कम करना है। गृह मंत्रालय ने जेलों में भीड़भाड़ कम करने के लिए एक बड़ा कदम उठाते हुए गरीब लोगों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए एक विशेष योजना शुरू करने का फैसला किया है। यह स्कीम उन लोगों के लिए है, जो जुर्माना या जमानत राशि देने में असमर्थ होने के कारण जेलों में बंद हैं। एमएचए ने शुक्रवार को कहा कि इससे गरीब कैदी, जिनमें से अधिकांश सामाजिक रूप से वंचित या निम्न शिक्षा और आय स्तर वाले समूहों से संबंधित हैं, जेल से बाहर निकल सकेंगे।
एक ऑफिशियल प्रेस रिलीज में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में गृह मंत्रालय समय-समय पर जेलों में विचाराधीन कैदियों के मुद्दे को हल करने के लिए कई कदम उठा रहा है। इनमें दंड प्रक्रिया संहिता में धारा 436ए को सम्मिलित करना, सीआरपीसी में एक नया अध्याय XXIए ‘प्ली बार्गेनिंग’ सम्मिलित करना शामिल है। गृह मंत्रालय ने कहा कि विभिन्न स्तरों पर कानूनी सेवा प्राधिकरण के माध्यम से गरीब कैदियों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान की जा रही है।
प्रेस रिलीज के अनुसार यह सुनिश्चित करने के लिए कि बजट का लाभ समाज के सभी इच्छित वर्गों तक पहुंचाया जाए इस योजना की प्राथमिकताओं में से एक है। इसके तहत की गयी घोषणाओं में से एक है ‘गरीब कैदियों के लिए समर्थन’। यह उन गरीब व्यक्तियों को आवश्यक वित्तीय सहायता करेगा जो जेलों में हैं और जुर्माना या जमानत राशि चुका पाने में असमर्थ हैं। गृह मंत्रालय ने कहा कि योजना की रूपरेखा को संबंधित हितधारकों के परामर्श से अंतिम रूप दिया जा रहा है। इस योजना के तहत भारत सरकार उन गरीब कैदियों को राहत देने के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करेगी, जो वित्तीय बाधाओं के कारण जुर्माना नहीं भरने के कारण जमानत लेने या जेलों से रिहा होने में असमर्थ हैं। प्रक्रिया को और मजबूत करने के लिए गरीब कैदियों तक लाभ सुनिश्चित करने के लिए टेक्नोलॉजी बेस्ड समाधान लाए जाएंगे, जैसे- ई-जेल मंच को मजबूत करना, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को मजबूत करना और जरूरतमंद गरीब कैदियों को कानूनी सहायता उपलब्ध कराना।
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