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करोडों की अमृत योजना लेकिन टेस्टिंग के दौरान फूट रही है पाइप लाइन, आखिर क्यों....?
डबरा (बेजोड रत्न ब्यूरो)। किसी भी शहर का विकास तभी दिखाई देता है जब उस शहर में रहने वाले लोग बिजली, सडक, पानी की मूलभूत सुविधाएं आम नागरिकों तक पहुंचे जिसका प्रयास केन्द्र और राज्य सरकार ने मिलकर करोडों की सौगात अमृत योजना के नाम पर शहर की नगर पालिका को दी। नगर पालिका ने अमृत योजना के तहत पाइप लाइन बिछाने का टेंडर वानको कंस्ट्रक्शन कंपनी ग्वालियर को दिया। कंपनी के कारिंदो ने शहर के 30 वार्डों में पाइप लाइन बिछाई लेकिन कहीं न कहीं मानकों की अनदेखी की गई। मानकों की अनदेखी के चलते जब कंपनी ने उक्त सौगात नगर पालिका को सौंपने से पूर्व टेस्टिंग की तो पाइप लाइन कई जगह से लीकेज हुई। बुधवार को टेस्टिंग के दौरान बैंक ऑफ बडोदा के ठीक सामने पाइप लाइन इस कदर लीकेज हुई कि ऐसा लगा कि शहर की सडकों पर फैलते हुए पानी से बाढ सी आ गई। आनन-फानन में कंपनी के कारिंदो ने पानी बंद कराया लेकिन तब तक लाखों बल्क लीटर पानी सडकों पर बह चुका था। सवाल उठता है कि इस बहते हुए पानी के लिए आखिरकार दोषी कौन है..?
दरअसल, केन्द्र सरकार और राज्य सरकार ने मिलकर नगर के 30 वार्डों के लिए अमृत योजना के तहत लोगों को आरओ जैसा पानी फिल्टर प्लांट से पाइप लाइनों के द्वारा घरों तक मिले जिसको लेकर 50 करोड रूपये की लागत से अमृत योजना के तहत यह पाइप लाइन बिछाने का टेंडर वानको कंस्ट्रक्शन कंपनी ग्वालियर को दिया गया। कंपनी के कारिंदो ने समय अंतराल के तहत शहर के विभिन्न वार्डों में पाइप लाइन बिछाई लेकिन पाइप लाइन बिछाते समय कंपनी के कारिंदे मानकों को दरकिनार करते चले गए। सबसे खास बात तो यह है कि जब कंपनी के कारिंदे वार्डों के अंदर पाइप लाइन बिछा रहे थे तब कोई इंजीनियर मौके पर नहीं होता था जिसके चलते कंपनी के कारिंदे मानकों के विपरीत पाइप लाइन बिछाते चले गए। पाइप लाइनों में ज्वाइंट करते चले गए क्या कहां कमजोरी रही..? इससे कंपनी के कारिंदो को कोई लेना-देना नहीं है जिसका खामियाजा आने वाले समय में नगर पालिका प्रबंधन को उठाना पडेगा।
टेस्टिंग के दौरान आए दिन फूट रही है पाइप लाइन.......
दरअसल, बुधवार के दिन अमृत योजना के तहत वानको कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा जो पाइप लाइन डाली गई उस पाइप लाइन में पानी की टेस्टिंग के लिए उस वॉल को खोला गया जो सिंध नदी पर कंपनी द्वारा बनाया गया है। पानी की रफ्तार को पाइप लाइन के ज्वाइंट झेल नहीं सके और बैंक ऑफ बडोदा के ठीक सामने पाइप लाइन का ज्वाइंट खुल गया। यह पहला केस नहीं है बल्कि 3 दिन पूर्व 9 अप्रैल को भी पाइप लाइन टेस्टिंग के दौरान लीकेज हुई और 4 माह पहले अग्रसेन चैराहे पर भी पाइप लाइन लीकेज हुई। वार्ड क्र. 13 के रामगढ पुल के पास अमृत योजना की टंकी बनी हुई है जिसके नीचे अधिक प्रेशर आने से पाइप लाइन उस प्रेशर को नहीं झेल पा रही है जिसके चलते पाइप लाइन लीकेज हो रही है। जिसका खामियाजा आने वाले समय में नगर की जनता को उठाना पडेगा जिस जनता को समय पर पानी की दरकार रहेगी।
पूर्व में डाली गई पाइप लाइन का अब क्या होगा......?
केन्द्र सरकार की योजना के तहत तात्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष सत्यप्रकाशी परसेडिया के कार्यकाल में 19.19 करोड रूपये की लागत से शहर के अंदर 24 वार्डों में पाइप लाइन डाली गई थी जो पाइप लाइन भ्रष्टाचार की भेंट चढ गई। तात्कालीन आईएएस अधिकारी एसडीएम अनुराग चैधरी ने उक्त पाइप लाइन को लेकर कई सवाल खडे किए थे जो कि सारथी कंस्ट्रक्शन द्वारा डाली गई थी। उक्त पाइप लाइन भ्रष्टाचार की भेंट चढी और सरकार का करोडों रूपया पानी में बह गया। अगर वानको कंपनी द्वारा इसी तरह की पाइप लाइन डाली गई है तो फिर इस शहर का क्या होगा..? जो कि सारथी कंस्ट्रक्शन द्वारा डाली गई पाइप लाइन आए दिन जगह-जगह से फूट रही थी। वहीं हालात अब वानको कंस्ट्रक्शन कंपनी के द्वारा डाली गई पाइप लाइन का होगा, यह तो समय के गर्त में है।
होना चाहिए उच्च स्तरीय जांच ऐसी योजनाओं की....
केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का 90 प्रतिशत और राज्य सरकार का 10 प्रतिशत पैसा सन् 2010 में तात्कालीन नपा अध्यक्ष श्रीमति सत्यप्रकाशी परसेडिया के समय शहर के अंदर लोगों को पानी देने के लिए फिल्टर प्लांट, पानी की टंकिया और पाइप लाइन बिछाई गई थी। जिसमें उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ और भ्रष्टाचार की भेंट उक्त पाइप लाइन चढी जिस पर कई आईएएस अधिकारियों ने उक्त मामले को लेकर एक विशेष टीम के द्वारा जांच भी हुई लेकिन हुआ कुछ नहीं। ऐसा ही अमृत योजना में डाली गई पाइप लाइन के साथ न हो।
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