भोपाल। मध्य प्रदेश की सियासत में मिशन 2023 को लेकर सभी राजनीतिक दल तैयारियों में जुटे हुए हैं। सबसे ज्यादा फोकस दलित वोटर्स को साधने पर किया जा रहा है। यही वजह है कि भाजपा 2023 में एक बार फिर सत्ता में काबिज होने के लिए दलित वोटर्स पर फोकस कर रही है, तो वहीं कांग्रेस दावा कर रही है कि 90 फीसदी से ज्यादा दलित वोटर कांग्रेस के साथ है।
मप्र की सियासत का केंद्र रहने वाले ग्वालियर चंबल अंचल में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। सबसे ज्यादा फोकस दलित वोटर्स को साधने पर किया जा रहा है। यही वजह है कि बीजेपी ने रविदास जयंती के बाद अंबेडकर महाकुंभ को आयोजित कर दलित वोटर्स को अपनी और आकर्षित करने का प्रयास किया है। ग्वालियर में बीती 16 अप्रैल को आयोजित हुए अंबेडकर महाकुंभ में सीएम शिवराज सिंह चौहान के साथ ही केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के अलावा प्रदेश सरकार के एक दर्जन से ज्यादा मंत्री शामिल हुए थे। इस कार्यक्रम में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अनुसूचित जाति में आने वाले सभी उप जातियों के आयोग बनाने का ऐलान करते हुए बड़ा मास्टर स्ट्रोक खेला है। बीजेपी की कोशिश है कि इसके जरिए अनुसूचित जाति के अंतर्गत आने वाले लोगों की समस्याओं को हल करते हुए उनसे जुड़े विकास के कामों को तेजी से आगे बढ़ाया जा सके।
कांग्रेस का दावा-दलित हमारे साथ
सियासी खींचतान के बीच कांग्रेस ने भी दावा किया है कि 90 फीसदी दलित वोटर के उनके साथ है। पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह का कहना है कि अनुसूचित जाति की आवाज सिर्फ कांग्रेस ने उठाई है। पूरा देश यह बात जानता है कांग्रेस ने ही अनुसूचित जाति भाइयों के सारे अधिकार दिलाए हैं। कांग्रेस की सरकारों ने अनुसूचित जाति के लिए पट्टे देने की शुरुआत की थी कांग्रेस की ही देन है जो अनुसूचित जाति के लोग आज आर्थिक रूप से मजबूत हुए हैं। आज भाजपा के राज में चर्चा है कि पूरे देश भर में संविधान खतरे में है। संविधान और हर वर्ग के अधिकार के बारे में कांग्रेस जागरूकता अभियान चला रही है। भाजपा सरकार अधिकतर अनुसूचित जाति जनजाति के भाइयों को उपेक्षित और परेशान कर रही है। जब भी चुनाव होंगे तो हम मानते हैं कि 90 फीसदी अनुसूचित जाति का वोट कांग्रेस को ही मिलेगा। पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह के 90 फीसदी दलित वोटर्स के कांग्रेस के साथ खड़े होने के दावे पर ऊर्जा मंत्री प्रदुमन सिंह तोमर ने पलटवार करते हुए कहा है कि सपना देखने में कोई बुराई नहीं होती है। सपना देखा जा सकता है। अनुसूचित जाति कांग्रेस की नजर में दलित हो सकती है, जबकि बीजेपी की नजर में अनुसूचित जाति इस हिंदुस्तान को मजबूत करने वाली ताकत हैं। बीजेपी उनका सम्मान करती है और उनके अधिकारों की लड़ाई लड़ती हैं। अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य इन सभी परिवार की लाडली बहनों की फिक्र सिर्फ शिवराज सरकार ने की है। कांग्रेस की 15 महीने की सरकार थी उस वक्त कमलनाथ ने बहुत सारे वादे किए थे, लेकिन एक भी वादा पूरा नहीं किया। जब सत्ता चली गई तो उस सत्ता को पाने के लिए नए-नए वादे कर रहे हैं, जबकि जो पुराना वादा किया उसे निभाया नहीं। किसान हो बेरोजगार हो महिला हो ये जनता को मालूम है की कांग्रेस और उनके नेता सिर्फ झूठ फरेब लोगों को भ्रमित करने की राजनीति करते है।
दोनों पार्टियों की निगाह दलित वोटर पर
बता दे कि 2023 के लिए ग्वालियर चंबल में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलित वोटर पर निगाहे जमा रहे है। वर्तमान में अंचल की 7 में से 6 दलित सीटें कांग्रेस के खाते में है। लिहाजा अभी अंचल की 34 सीटों में से बीजेपी और कांग्रेस के पास 17-17 सीटें हैं। मुख्य बात यह भी है कि 2018 में दलित वोटरों की नाराजगी के चलते बीजेपी ने मध्य प्रदेश की सत्ता खोई थी। उस दौरान अंचल की 34 में से महज 7 सीटों पर बीजेपी सिमट गई थी। जबकि कांग्रेस के खाते में 26 सीटें आई थी। यही वजह रही कि कांग्रेस ने 33 साल पुराना रिकॉर्ड बनाया था। अंचल की सीटों पर दलित वोटरों की तादाद 15 से 45 फीसदी के लगभग है। ऐसे में देखना होगा कि मिशन 2023 के लिए दलित वोटर्स को लेकर चल रही सियासत में किसको सत्ता की चाबी हासिल होती है।
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