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ट्रेन में मोबाइल चोरी होने पर रेलवे जिम्मेदार नहीं
- उपभोक्ता आयोग का फैसला, यात्री को मोबाइल की सुरक्षा खुद करना होगी
भोपाल । अगर आप ट्रेन में मोबाइल चार्जिंग पर लगातार सो गए हैं और ऐसी स्थिति में आपका मोबाइल चोरी हो जाए तो इसके लिए रेलवे जिम्मेदार नहीं होगा। आपको अपने फोन की रक्षा खुद करनी होगी। यह फैसला हाल ही में भोपाल उपभोक्ता आयोग ने सुनाया। फैसले में आयोग ने कहा कि यदि परिवादी जाग रहा था, तो उसने चार्जिंग पर लगा मोबाइल किसी व्यक्ति के द्वारा ले जाते हुए क्यों नहीं देखा। मोबाइल ऐसी वस्तु है जो आसानी से पॉकेट में सुरक्षित रखी जा सकती है। चार्जिंग में लगाए जाने पर मोबाइल की सुरक्षा यात्री के द्वारा स्वयं की जानी चाहिए। यह फैसला जिला आयोग के अध्यक्ष योगेश दत्त शुक्ल व सदस्य प्रतिभा पांडे की बेंच ने सुनाया।
भोपाल के शिवाजी नगर के रहने वाले लक्षित शर्मा (परिवर्तित नाम) ने साल 2015 में सीनियर डिवीजनल कामर्शियल मैनेजर वेस्ट सेंट्रल रेलवे रानी कमलापति, डिवीजनल मैनेजर रेलवे, डीआरएम नॉर्थन रेलवे के खिलाफ आयोग में शिकायत की। उन्होंने बताया कि 31 दिसंबर 2014 को इंदौर - पटना एक्सप्रेस से पत्नी के साथ बनारस जाने के लिए एसी - 2ए कोच नंबर ए-1 में बर्थ नं. 47, 48 में बैठकर यात्रा कर रहे थे। इस दौरान एप्पल मोबाइल, जिसकी कीमत करीब 40 हजार रुपए थी, चार्जिंग में लगा दिया गया। ट्रेन के लखनऊ छोडऩे के पश्चात एवं सुल्तानपुर पहुंचने के बाद उन्होंने देखा कि मोबाइल अपनी जगह पर नहीं था। उन्होंने तुरंत कोच में उपस्थित टीटीई को इसकी जानकारी दी। बताया कि उसके सामने की बर्थ पर एक अपरिचित व्यक्ति बैठा था। ऐसा प्रतीत होता है कि उसी व्यक्ति ने मोबाइल चुरा लिया। टीटीई ने बताया कि उक्त बर्थ किसी को आवंटित ही नहीं की गई थी। इस प्रकार रेलवे के स्टाफ के द्वारा आरक्षित एसी कोच में अनाधिकृत व्यक्ति को यात्रा करने की अनुमति दी गई, जो लापरवाही को दर्शाता। यात्री ने इसके बाद फोन से जीआरपी भोपाल को सूचना दी। प्रथम सूचना रिपोर्ट भी लिखवाई। रेलवे ने इस मामले में कहा कि परिवादी 40 हजार रुपए के मूल्य का एप्पल कंपनी का मोबाइल लेकर यात्रा कर रहा था। परिवादी का सामान उसकी स्वयं की अभिरक्षा में था। जिसका रेलवे के पास कोई रिकार्ड नहीं था। परिवादी द्वारा रेलवे को मोबाइल सुरक्षा के लिए कोई भुगतान भी नहीं किया था। इस कारण परिवादी को क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकार नहीं है। रेलवे द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गई है।
आयोग का फैसलाआयोग ने इस मामले में कहा कि परिवादी के द्वारा भोपाल से टिकिट लेकर यात्रा प्रारंभ की गई थी। परिवादी द्वारा भोपाल से बनारस के लिए इंदौर पटना एक्सप्रेस में ए-1 कोच के सीट नं. 47 व 48 पर यात्रा करते समय एप्पल कंपनी का मोबाइल चार्जिंग पर लगाने के दौरान अज्ञात व्यक्ति के द्वारा चोरी करने की सूचना फोन पर दिए जाने पर प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखाई गई थी। जिसमें यह बात नहीं लिखाई गई कि परिवादी की सामने की सीट में किसी अनाधिकृत यात्री को यात्रा करने के लिए अनुमति दी गई। प्रथम सूचना रिपोर्ट में घटना का समय नहीं बताया गया है, ना ही परिवादपत्र में यह स्पष्ट किया गया है कि, परिवादी ने जब अपना मोबाइल चार्जिंग पर लगाया था तब वह जाग रहा था अथवा सो रहा था। चोरी की घटना दिन में हुई थी अथवा रात में। यह भी स्पष्ट नहीं होता है कि, यदि परिवादी जाग रहा था तो उसने चार्जिंग में लगा मोबाइल किसी व्यक्ति के द्वारा ले जाते हुए क्यों नहीं देखा । मोबाइल ऐसी वस्तु है कि, जो आसानी से अपने पॉकेट में सुरक्षित रखा जा सकता है एवं चार्जिंग में लगाये जाने पर उसकी सुरक्षा यात्री के द्वारा स्वयं की जानी चाहिए। यदि यात्री अपने मोबाइल की सुरक्षा के लए स्वयं उपेक्षावान रहा है तो उसे विपक्षी के द्वारा सेवा में कमी किया जाना नहीं माना जा सकता । अत: विपक्षी के द्वारा सेवा में कमी किया जाना प्रमाणित नहीं पाया जाता है।
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