- पीएम शहबाज शरीफ ने नेशनल असेंबली में विश्वास मत हासिल किया; इमरान खान ने साधा सरकार पर निशाना

इस्लामाबाद। पाकिस्तान आर्थिक मोर्चे पर तो बदहाली झेल ही रहा है, साथ ही वहां राजनीतिक मोर्चे पर भी भारी अस्थिरता है। विपक्ष और सुप्रीम कोर्ट कह रहा है कि चुनाव कराओ, लेकिन सरकार का कहना है कि पैसे नहीं हैं। यही नहीं, पाकिस्तान की सरकार वहां के सुप्रीम कोर्ट से कह रही है कि भारत हमला कर सकता है, इसलिए सरकार का ध्यान अभी चुनाव कराने पर लगाना ठीक नहीं होगा, लेकिन इन सब अटकलों के बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने गुरुवार को अचानक से नेशनल असेंबली में विश्वासमत हासिल कर सबको चौंका दिया। सरकार और शीर्ष न्यायपालिका के मध्य बढ़ते टकराव के बीच चौंकाने वाले एक घटनाक्रम के तहत 180 सांसदों ने शहबाज शरीफ के नेतृत्व में पूर्ण भरोसा जताया। वैसे विश्वासमत हासिल करने के लिए शहबाज शरीफ को केवल 172 वोटों की जरूरत थी। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के प्रमुख और विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने निचले सदन में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व में पूर्ण विश्वास को लेकर एक प्रस्ताव पेश किया। प्रस्ताव को 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में 180 सांसदों का समर्थन मिला।उल्लेखनीय है कि पिछले साल अप्रैल में जब शहबाज शरीफ प्रधानमंत्री चुने गए थे, तब उन्हें 174 सांसदों का समर्थन हासिल था। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बाद में सदन को संबोधित किया और उन पर विश्वास जताने के लिए सांसदों को धन्यवाद दिया। हालांकि, इसके पहले सूचना मंत्री मरियम औरंगजेब ने उन खबरों को खारिज कर दिया था कि शीर्ष न्यायपालिका के साथ विवाद के बीच प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ संसद में विश्वास मत हासिल करेंगे।
नेशनल असेंबली इस साल अगस्त में अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी। संविधान के अनुसार निचले सदन के विघटन के 90 दिनों के भीतर चुनाव होंगे। इसका मतलब है कि चुनाव अक्टूबर के मध्य तक होना चाहिए। पाकिस्तान में पिछला आम चुनाव जुलाई 2018 में हुआ था। पाकिस्तान में चुनाव कराने को लेकर जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए गुरुवार को सरकार और विपक्ष के बीच बैठक हुई और दोनों पक्षों ने शुक्रवार को भी इस मुद्दे पर वार्ता जारी रखने का फैसला किया। 
पाकिस्तान की सरकार ने ऐसे समय विश्वास मत हासिल किया है, जब इस तरह की अटकलें लग रही हैं कि पाकिस्तान में मार्शल लॉ लागू किया जा सकता है। महंगाई तथा आतंकवाद की बढ़ती घटनाओं के चलते पाकिस्तान सरकार की अलोकप्रियता भी चरम पर है। ऐसे में सदन का विश्वास हासिल कर शहबाज शरीफ ने अपने राजनीतिक और अन्य विरोधियों पर बढ़त बनाने की सफल चाल तो चल दी है, लेकिन देखना होगा कि सेना और सुप्रीम कोर्ट उन्हें कितने दिन तक पद पर बने रहने देते हैं।

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