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रोटेशन सिस्टम लागू होने में देरी पर एम्स के डॉक्टरों ने जताई नाराजगी
नई दिल्ली। देश के शीर्ष चिकित्सा संस्थान एम्स व पीजीआइ चंडीगढ़ में रोटेशन सिस्टम लागू करने का मामला अधर में लटका हुआ है। इस मामले पर एम्स व पीजीआइ चंडीगढ़ के फैकल्टी एसोसिएशन ने नाराजगी जाहिर की है और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से विभागाध्यक्षों की नियुक्ति में जल्द रोटेशन लागू करने की मांग की है। साथ ही रोटेशन सिस्टम लागू होने में अब अधिक देरी होने पर दोनों चिकित्सा संस्थानों के फैकल्टी एसोसिएशन ने विरोध प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है। इस मामले पर कमेटी में चर्चा पूरी हो चुकी है। कमेटी के सदस्यों ने अपने सुझाव डा. वीके पाल को दे दिए हैं। फिर भी कमेटी ने अभी तक अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को नहीं भेजी है। दोनों संस्थानों के फैकल्टी एसोसिएशन ने डा. वीके पाॅल पर किसी दबाव में रिपोर्ट भेजने में देरी करने का आरोप लगाया है। एसोसिएशन का कहना है कि निम्हांस, बीएचयू के आइएमएस (इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस) व जिप्मेर पुडुचेरी में पहले से रोटेशन सिस्टम लागू है। इस वजह से एक निश्चित अवधि के बाद विभागाध्यक्ष बदल जाते हैं। इस व्यवस्था से उन संस्थानों में डाक्टरों को किसी तरह की परेशानी भी नहीं है, लेकिन एम्स व पीजीआइ चंडीगढ़ में यह व्यवस्था नहीं है। इन संस्थानों में एक बार विभागाध्यक्ष बनने के बाद डाक्टर सेवानिवृत के बाद ही इस पद से मुक्त होते हैं। इस वजह से एम्स में डाक्टरों का एक वर्ग रोटेशन सिस्टम लागू करने की मांग लंबे समय से करता रहा है।
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