- आत्मा के ध्यान से अंदर का कर्म रूप मुद्गल बाहर आता है- 105 श्री स्वस्ति भूषण माताजी

आत्मा के ध्यान से अंदर का कर्म रूप मुद्गल बाहर आता है- 105 श्री स्वस्ति भूषण माताजी

डबरा (बेजोड रत्न ब्यूरो)। आर्यिका मां 105 श्री स्वस्ति भूषण माताजी का मंगल विहार आज जोरासी मंदिर बालाजी कॉलेज से सुबह 5:30 बजे  10 किलोमीटर का मंगल विहार प्रकाश पब्लिक स्कूल टेकनपुर तक का पद बिहार संपन्न हुआ। सुबह 7:30 बजे प्रकाश पब्लिक स्कूल पहुंचे मंगल विहार में उपस्थित सदस्य गण जैन मिलन स्वतंत्र डबरा, जैन युवा सेवा मंडल मुरार, श्री महावीर दिगंबर जैन मंदिर समिति कस्टम रोड जवाहर गंज डबरा, मुरैना  के सदस्यगण उपस्थित थे। सुबह माताजी ने अपने प्रवचन में कहा कि शुभ अशुभ कल मंझार, रति अरति करें। आतम हेतु विराग ज्ञान, तैं लखें आपको कष्ट दान।।राग द्वेष आतम की ऊर्जा आत्मा का ज्ञान बाहर की तरफ जाने का नाम राग है द्वेष दो रूप में, भाव दो रूप में होकर बहते हैं बाहर बहती है तो राग बाहर के भावों में भेद ज्ञान हो तो वैराग्य, ऊर्जा अंदर की ओर बहती है तो ध्यान बन जाती है आत्मा के ध्यान से अंदर का कर्म रूप मुद्गल बाहर आता है, और आत्मा शुद्ध हो जाती है यही आत्मा की शुद्धि का तरीका है। रविवार श्याम 5 बजे टेकनपुर से जेसी गार्डन 3.50 किलोमीटर का बिहार होगा। रात्रि विश्राम जेसी गार्डन में संपन्न होगा सोमवार सुबह 5 बजे जेसी गार्डन से विहार होगा और डबरा में सुबह 7 बजे मंगल प्रवेश होगा। सभी सकल जैन समाज डबरा के धर्म प्रेमी बंधुओं एवं महिला मंडल एवं सहयोगी संस्थाओं एवं सभी मंदिर समिति के अध्यक्ष, मंत्री, सदस्य गणों से निवेदन है आहार-विहार में सम्मिलित होकर पुण्य अर्जन करें।

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