- बागेश्वर सरकार की रामकथा के विरोध में उतरे आदिवासी, पेसा एक्ट के उल्लंघन का आरोप

बालाघाट। बागेश्वर धाम के महाराज कथावाचक धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की लोकप्रियता इन दिनों चरम पर है। देशभर में अलग-अलग स्थानों पर बागेश्वर सरकार की कथाओं का आयोजन किया जा रहा है। आम लोग ही नहीं, बड़ी राजनीतिक हस्तियां और सरकारी नुमाइंदे भी बागेश्वर सरकार की शरण में नज़र आ रहे हैं। मध्य प्रदेश में बालाघाट ज़िले की परसवाड़ा तहसील के आदिवासी गांव भादुकोटा में 23 और 24 मई को पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की वनवासी राम कथा का आयोजन हो रहा है। प्रदेश के आयुष मंत्री रामकिशोर कावरे अपने विधानसभा क्षेत्र में इसका आयोजन करा रहे हैं, लेकिन आयोजन से पहले ही बागेश्वर महाराज के खिलाफ विरोध के स्वर मुखर हो रहे हैं।
जिले में कलार समाज के बाद आदिवासी समाज भी धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के कार्यक्रम का बहिष्कार कर रहा है। आदिवासी समाज के समस्त संगठनों ने 10 मई को मीटिंग बुलाकर सामूहिक रूप से कार्यक्रम का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। आदिवासी संगठन के पदाधिकारियों ने एकमत होकर वनवासी रामकथा के कार्यक्रम में शामिल ना होने का संकल्प लिया है।
23 और 24 मई को ग्राम भादूकोटा में बागेश्वर महाराज के दो दिवसीय रामकथा कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। आदिवासी संगठनों ने पेसा एक्ट के उल्लंघन करने के कारण कार्यक्रम का विरोध किया है। आदिवासी समाज का आरोप है कि रामकथा के आयोजन के लिए ग्राम पंचायत की अनुमति नहीं ली गई। ना ग्राम सभा की बैठक बुलाई गई और ना ही सरपंच या ग्रामवासियों को इसकी कोई सूचना दी गई। उनका आरोप है कि यह आयोजन केवल वोट बैंक बनाने की कवायद है।कार्यक्रम को लेकर जिला कलेक्टर ने अपने बयान में धीरेन्द्र शास्त्री को सरकार कहा था। आदिवासी समाज ने इस पर भी आपत्ति जाहिर की है। उनका कहना है कि सरकार के कर्मचारी किसी महाराज को सरकार कहें, ये संविधान का अपमान है। 

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