भोपाल। राष्ट्रसंत आचार्य विशुद्ध सागर महाराज का 25 मुनि राजो के साथ राजधानी के जैन मंदिरों में पद विहार चल रहा है। मंदिरों की वंदना कर रहे हें। आज मंगलवारा जिनालय मैं आचार्य विशुद्ध सागर महाराज के सानिध्य में मूलनायक भगवान चंद्रप्रभु का अभिषेक मंत्र उच्चारित शांतिधारा हुई और अष्ट द्रव्य से भगवान चंद्र प्रभु की पूजा अर्चना की गई। आचार्य विशुद्ध सागर महाराज ने कहा - कुंडली और वास्तु के चक्कर में मनुष्य जीवन बेकार मत करो कुंडली से कुंडली नहीं बनती। व्यक्ति के उत्साह, श्रम, पुरुषार्थ और कर्मों की दशा से कुंडली बनती है। आचार्य श्री ने कहा जीवन मजाक का नहीं होना चाहिए। जीवन मजे का भी नहीं होना चाहिए। जीवन गंभीर रूप से आनंद का होना चाहिए। विकास उनका होता है, जो उत्साह वान होते हैं। अगर जीवन में उत्साह है, तो 80 साल का वृद्ध भी युवा है। आचार्य श्री ने कहा भारतीय शिक्षा प्रणाली वित्त पर आधारित है। और भारतीय संस्कृति और संस्कार वीतरागता के लिए। सत्य का महत्व बताते हुए कहा सत्य मात्र वचन नहीं सत्य साधना है, सत्य व्याख्यान है, और सत्य ही हमारी संस्कृति है। जो सत्य के नाम पर खड़ा हो जाए वही युवा है। भारतीय संस्कृति में जितने भी इतिहास पुरुष हुए हैं। उन्होंने अपना जीवन सत्यता पर जिया। आज वह पूज्य है, चाहे भगवान महावीर हो, भगवान राम या श्री कृष्ण या नानक देव। सत्य को जीवन में अंगीकार कर आज सभी हमारे पूज्य हैं। समाज के प्रवक्ता अंशुल जैन ने बताया श्री चंद्र प्रभु मंगलवारा मंदिर समिति के अध्यक्ष आदित्य मन्या के नेतृत्व में समाजजनों ने आचार्य संघ की अगवानी की और आचार्य श्री का पाद प्रक्षालन किया। आचार्य श्री के आहार मनिया परिवार में हुए। इस अवसर पर प्रमुख रूप से अध्यक्ष मनोज बांगा, प्रमोद हिमांशु, मनोज आरएम, विनोद एम पी टी, मनोज एमके, भारत, विजय, श्वेता राजेश नायक, विपिन एम पी टी, कौशल जैन, पिंटू, मनोज, मन्नु, प्रमित अजमेरा, डॉ अनुराग, जतिन चौधरी, चंद्र प्रभु महिला मंडल, बहु मंडल, युवा मंडल के सदस्य मौजूद थे।
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