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समय से पूर्व जन्मे नवजात की आंखों की रोशनी को बचाएगी देसी मशीन
नई दिल्ली । अब समय से पूर्व जन्मे नवजात की आंखों की रोशनी को बचाया जा सकेगा। देशभर में हर साल करीब 30-35 हजार बच्चों का जन्म समय से पूर्व होता है। इन बच्चों के फेफड़े पर्याप्त ऑक्सीजन को अवशोषित नहीं कर पाते, ऐसे में सामान्य स्तर पर सांस देने के लिए मशीन की आवश्यकता पड़ जाती है और उन्हें नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (एनआईसीयू) में भर्ती करना पड़ा है। ऐसे में यदि इन नवजात को जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन दी जाती है तो दोनों आंखें खराब हो सकती हैं। इसे रोकने के लिए समय पर आंखों की जांच की जरूरत है। इस समस्या को दूर करने के लिए बेंगलूरू की एक कंपनी ने नवजात की आंखों की जांच के लिए डिवाइस को तैयार की है, जिसे प्रगति मैदान में चल रहे साइंस एक्सपो में प्रदर्शित किया गया है। डिवाइस के बारे में कंपनी के अधिकारी केएमके राजेंद्रम ने बताया कि तीन साल पहले डिवाइस तैयार की गई थी। दक्षिण भारत के कई अस्पतालों में समय से पूर्व जन्मे नवजात की आंखों की जांच करने के लिए इसका इस्तेमाल हो रहा है। तीन साल में करीब एक लाख बच्चों की जांच की गई और परिणाम बेहतर आए। इस रेटिनल इमेजिंग डिवाइस की मदद से आंखों का चित्र लिया जाता है। इसकी मदद से डॉक्टर देखकर स्पष्ट कर देता है कि बच्चे की आंख में कोई दिक्कत है या नहीं। भविष्य में आंखों की रोशनी जा सकती है या नहीं। अभी तक ऐसी डिवाइस अमेरिकन कंपनी तैयार कर रही थी जो काफी महंगी है।
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