- सामने आया सीएम खा‎लिद खुर्शीद का फर्जीवाड़ा, हलफनामे में लगा दी नकली डिग्री

इस्लामाबाद पा‎किस्तान के एक सीएम का फर्जीवाड़ा ‎फिर सामने आया है। यह मामला लंदन ‎विवि की नकली ‎डिग्री का है। जानकारी के अनुसार पाकिस्तान के राजनेता अभी तक भ्रष्टाचार और चोरी के मामलों को लेकर ही बदनाम थे। लेकिन, अब गिलगित-बाल्टिस्तान के मुख्यमंत्री खालिद खुर्शीद पर चुनावी हलफनामे में लंदन विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्री लगाने का आरोप है। खालिद खुर्शीद इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेता हैं। पाकिस्तान के उच्च शिक्षा आयोग ने खुर्शीद की डिग्री के सत्यापन के लिए लंदन विश्वविद्यालय से अनुरोध किया था। इसके बाद लंदन विश्वविद्यालय ने डिग्री को फर्जी बताते हुए सत्यापित करने से इनकार कर दिया है। संभावना है कि जल्द ही मुख्यमंत्री खालिद खुर्शीद को अयोग्य करार दिया जा सकता है। इसके बाद उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाही भी की जाएगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मुख्यमंत्री खालिद खुर्शीद की प्रस्तुत की गई डिग्री में कागज की गुणवत्ता, उभरा हुआ टिकट, फॉन्ट और हस्ताक्षर जैसे स्पष्ट अंतर थे। लंदन विश्वविद्यालय ने उसी विभाग द्वारा अन्य छात्रों के लिए एक ही समय-सीमा में जारी किए गए अन्य डिग्रियों के साथ खालिस खुर्शीद के डिग्री की तुलना भी की। इसके बाद उनकी डिग्री को फर्जी करार दे दिया गया। अब उच्च शिक्षा आयोग उनकी डिग्री को रद्द करने के लिए एक पत्र का मसौदा तैयार कर रहा है। सूत्रों ने कहा कि उच्च शिक्षा आयोग और पाकिस्तान सरकार को धोखा देने के लिए उसके खिलाफ तत्काल अयोग्यता और आपराधिक कार्यवाही शुरू की जाएगी। पाकिस्तान के उच्च शिक्षा आयोग के पत्र के जवाब में, लंदन विश्वविद्यालय ने लिखा कि मैं पुष्टि कर सकता हूं कि लिफाफा और इसकी सामग्री (डिग्री प्रमाण पत्र की प्रति, प्रमाणन पत्र और प्रतिलेख) लंदन विश्वविद्यालय द्वारा जारी नहीं की गई थी। एक सवाल के जवाब में, मुख्यमंत्री खालिद खुर्शीद की कानूनी टीम के सदस्य यासिर अब्बास ने कहा कि सीएम के राजनीतिक विरोधी गिलगित बाल्टिस्तान में पीटीआई की सरकार को बदनाम करने के लिए उनकी शैक्षणिक योग्यता के खिलाफ प्रचार कर रहे हैं।
गौरतलब है ‎कि गिलगित बाल्टिस्तान बार काउंसिल बार नामांकन रिकॉर्ड का एकमात्र संरक्षक है। अधिवक्ताओं की शैक्षणिक साख को कानूनी रूप से सत्यापित करने का एकमात्र अधिकार है। यदि आवश्यक समझा जाए तो माननीय न्यायालय द्वारा और सत्यापन किया जा सकता है। बहुत महत्वपूर्ण और खतरनाक बात यह है कि बार काउंसिल ने अपने बयान में कहा कि विपक्षी नेता ने उन्हें मजबूर करने की कोशिश की और बार काउंसिल के रिकॉर्ड को बदलने की पेशकश की। यह भी रिकॉर्ड में है कि राजनीतिक विरोधियों ने कई मौकों पर अदालती कार्यवाही से बचने की कोशिश की है। 


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