- अग्रिम जमानत के लिए एचसी या ट्रायल कोर्ट को चुना जा सकता है : एचसी

अग्रिम जमानत के लिए एचसी या ट्रायल कोर्ट को चुना जा सकता है : एचसी

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि आवेदकों के पास अग्रिम जमानत याचिका दाखिल करते समय उच्च न्यायालय और निचली अदालत के बीच चयन करने का विवेक है। इस विकल्प को आपराधिक प्रक्रिया (सीआरपीसी) संहिता की धारा 438 की संकीर्ण व्याख्या करके सीमित नहीं किया जा सकता है।

आवेदक के पास अग्रिम जमानत के लिए एचसी या ट्रायल कोर्ट चुनने का विवेक है:  दिल्ली एचसी - News Nation

 न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह 2021 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दायर धन शोधन मामले में अग्रिम जमानत की मांग करने वाली पंकज बंसल और बसंत बंसल की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 3 और 4 के तहत मामला दर्ज किया है। 

आवेदक के पास अग्रिम जमानत के लिए एचसी या ट्रायल कोर्ट चुनने का विवेक है:  दिल्ली एचसी | Applicant Has Discretion To Choose HC Or Trial Court For  Anticipatory Bail: Delhi HC

न्यायमूर्ति सिंह ने कहा कि अग्रिम जमानत के लिए सीधे उच्च न्यायालय जाने पर कोई रोक नहीं है। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि उच्च न्यायालय या सत्र न्यायालय से संपर्क करने का निर्णय आवेदक के पास है, क्योंकि दोनों अदालतों का अधिकार क्षेत्र समान है। उच्च न्यायालय और सत्र न्यायालय दोनों के पास ऐसे मामलों को देखने के लिए समवर्ती अधिकार क्षेत्र है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस विवेकाधिकार को सीआरपीसी की धारा 438 की संकीर्ण व्याख्या द्वारा प्रतिबंधित नहीं किया जाना चाहिए। 


यह कहते हुए कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता अनुचित प्रतिबंधों के अनुपालन पर निर्भर नहीं होनी चाहिए। न्यायाधीश ने कहा कि दोषी साबित होने तक व्यक्ति निर्दोषता की धारणा के हकदार हैं और प्रावधान की व्याख्या इस तरह से की जानी चाहिए जो इस सिद्धांत को कायम रखे। न्यायमूर्ति सिंह ने धारा 438 की लाभकारी प्रकृति को बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया और स्पष्ट किया कि अदालत की टिप्पणियां इस संदर्भ में की गई हैं कि अग्रिम जमानत देने की शक्ति को असाधारण माना जाता है और केवल विशिष्ट मामलों में ही दी जानी चाहिए।


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