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भारत को डीपीआई पर एक केस स्टडी बनाना चाहिए : चंद्रशेखर
नई दिल्ली। भारत ने अपने लाखों लोगों को लाभान्वित करने के लिए एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) और आधार जैसे महत्वपूर्ण और मजबूत नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया है, जो अन्य देशों को अपने डिजिटल बुनियादी ढांचे का निर्माण और विस्तार करने में मदद करेगा।
यह बात इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी के केंद्रीय राज्यमंत्री, राजीव चंद्रशेखर ने सोमवार को कही। केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि यूपीआई, जो दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते फिनटेक पारिस्थितिक तंत्रों में से एक है, अनिवार्य रूप से नागरिकों को सब्सिडी को निर्बाध रूप से स्थानांतरित करने का एक सरकारी उपयोग मामला था।
चंद्रशेखर ने बताया, चूंकि दुनिया भर की सरकारें डीपीआई को लागू करती हैं, वे साझेदारी के साथ अपनी स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं में भारत के स्टार्टअप और इनोवेशन इकोसिस्टम के उत्प्रेरक लाभ को देखेंगे। उन्हें भारत को डीपीआई पर एक केस स्टडी बनाना चाहिए। केंद्र ने भारत स्टैक साझा करने पर तीन देशों के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
मंत्री चंद्रशेखर ने कहा कि सरकारों के लिए औपचारिक रूप से यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि साइबर सुरक्षा खतरों से नवाचार, आवश्यक सेवाओं में विश्वास और उपभोक्ता विश्वास में बाधा आती है। मंत्री ने कहा, डिजिटल अर्थव्यवस्था में साइबर सुरक्षा एक घरेलू मुद्दा नहीं है, बल्कि एक वैश्विक मुद्दा है।
निश्चित रूप से एक वैश्विक प्रोटोकॉल की आवश्यकता है और यह डीपीआई साझेदारी, यह एक भविष्य का गठबंधन भी साइबर सुरक्षा के प्रति हमारे दृष्टिकोण के भविष्य को आकार देने पर साझेदारी के मुद्दों को संबोधित करेगा। कृत्रिम बुद्धिमत्ता और भाषा मॉडल जैसी तकनीकों के आगमन के साथ डीपीआई अवसंरचना और भी तेज हो रही है।
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