-भीषण गर्मी में भी भेड़-बकरियों के तरह कोचिंग में बैठते हैं पढ़ने के लिए
-नामांकन, शिक्षकों की योग्यता, सिलेबस, कोर्स फीस में चलाते हैं अपना कानून
-शशिकांत गोयल/बेजोड़ रत्न/भिंड
भिण्ड। हाल के दिनों में कोचिंग संस्थानों ने एक असंगठित उद्योग का रूप ले लिया है, शिक्षा माफिया अब स्कूल, कॉलेज जैसे शिक्षण संस्थान को छोडकर इस क्षेत्र में उतर रहे हैं, क्योंकि इसे रेगुलेट या मॉनिटर करने के लिए अब तक जिला प्रशासन से लेकर केंद्र तक कोई कानून नहीं बना है, इस तकनीकी कमी का उपयोग कर कोचिंग संस्थान अभिभावकों का शोषण कर रहे हैं तो बच्चों का करियर भी तबाह हो रहा है। जिले में अधिकांश संचालित कोचिंग सेंटरों के संचालकों ने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है, फायर सेफ्ट नहीं है, बच्चों को एक ही कमरे में भेड-बकरियों की तरह भरे जाते हैं एक कमरे में 60 से 80 तक बच्चे कोचिंग संचालक बैठा रहे हंै। सड़कों को पार्किंग में तब्दील कर दिया है, जिससे आने वाले राहगीरों को परेशान होती है, गर्ल्स, बॉयस बच्चों के लिए प्रथक से टॉयलेट आदि की व्यवस्था नहीं है, बिजली चोरी भी की जा रही है अधिकांश कोचिंग संस्थाओं के पास कॉमर्शियल बिजली कनेक्शन नहीं है। या फिर यह कहें अवैध रूप से चल रहे हैं प्रशासन के किसी नियम को फॉलो नहीं करते हैं जिसके बावजूद भी शिक्षा विभाग कार्यवाही करने की बजह तमाशबीन बना हुआ है। हादसे के बाद भी प्रशासन नहीं ले रहा सबक
ज्ञात हो कि विगत वर्ष दिल्ली के मुखर्जी नगर में एक कोचिंग संस्थान में आग लग गई थी और उसमें भेड़-बकरियों की तरह बच्चे भरे हुए थे और कई छात्रों ने अपनी जान गवाई थी। क्योंकि समय रहते आग पर काबू नहीं पाया था और बच्चे खिडकियों से कूदने लगे थे। शहर में अनगिनत कोचिंग संस्थानों में बच्चे एक ही कमरे में भेड-बकरियों की तरह भरे रहते हैं जिस पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है क्या फिर किसी बड़े हादसे में इंतजार में है प्रशासन।
नामांकन से फीस निर्धारण तक मन मुताबिक
कोचिंग संस्थानों में नामांकन, एक बैच में विद्यार्थियों की तय संख्या, शिक्षकों की योग्यता, समय पर सिलेबस पूरा कराने की जिम्मेवारी, कोर्स फीस तय करने का कोई नियम या कानून नहीं है, इस वजह से हजारों-लाखों की फीस लेने के बाद भी एक कमरे में सैकडों विद्यार्थियों को बैठा कर पढाने की परंपरा है। भारी भरकम फीस से विद्यार्थी परेशान
जिले में नर्सरी से लेकर कॉलेज कोर्स वर्क तक की सामान्य पढ़ाई कराने वाले सैकड़ों कोचिंग संस्थान हैं, इनके अलावा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले कोचिंग संस्थानों की संख्या भी सैकड़ों में है, नियम व कानून नहीं होने का फायदा उठाते हुए कोचिंग संस्थान मनमाने तरीके से फीस तय करते हैं, विद्यार्थियों से संबंधित कोचिंग संस्थान भारी भरकम राशि वसूल रहे हैं।
शिक्षकों की योग्यता का कोई मापदंड नहीं
कानून नहीं होने की वजह से कोचिंग संस्थानों में शिक्षकों की योग्यता का कोई मापदंड नहीं होता, इस वजह से कई कोचिंग संस्थानों में अयोग्य शिक्षक रख लिए जाते हैं, योग्यता के अभाव में खराब परिणाम कोचिंग के विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को उठाना पड़ता है, कोचिंग संचालक शिक्षकों को कर्मचारी की हैसियत से देखते हैं।
कोचिंग छोड़ने पर फीस वापसी का प्रावधान नहीं
कोचिंग की खराब पढ़ाई से परेशान होकर जब विद्यार्थी संस्थान छोड़ देता है तो अधिकतर मामलों में उनका पूरा पैसा डूब जाता है, क्योंकि कोचिंग छोड़ने पर फीस वापसी का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है।
धनशोधन का बडा अड्डा
नियम व कानून नहीं होने की वजह से कोचिंग संस्थान धन शोधन का अड्डा भी बनते जा रहे हैं, कोचिंग में विद्यार्थियों की संख्या और कुल कमाई का हिसाब छिपाया जाता है,मोटी फीस वसूलने वाले कोचिंग संस्थान प्रत्येक माह लाखों रुपये की कमाई करते हैं, लेकिन उचित इनकम टैक्स सरकार को नहीं देते।