- जिन हाथों में होनी चाहिए किताब उनमें क्यों है तमंचा और चाकू

जिन हाथों में होनी चाहिए किताब उनमें क्यों है तमंचा और चाकू

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में संगीन से संगीन अपराधों को नाबालिग अंजाम दे रहे हैं। हालत यह है कि साल दर साल अपराधों में नाबालिगों की संलिप्तता में बढ़ोतरी हो रही है। दिल्ली पुलिस के आंकड़ों पर गौर करें तो तीन वर्ष के आंकड़ों में हत्या, लूटपाट, हत्या के प्रयास जैसे संगीन अपराधों में नाबालिगों की भूमिका में बढ़ी है।


 वर्ष 2022 में हर दिन औसतन आठ नाबालिग अलग-अलग अपराधों में शामिल होने पर पकड़े गए हैं, जिस उम्र में उनके हाथों में किताब कॉपी होनी चाहिए, उस उम्र में वे चाकू और तमंचे से खूनी खेल खेल रहे हैं। दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के विशेष आयुक्त रवींद्र सिंह यादव का कहना है कि नाबालिग अपराधियों को पर कानून के अनुसार कार्रवाई की जाती है

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 दिल्ली पुलिस को प्रयास रहता है कि एक बार अपराध करते हुए पकड़े गए नाबालिग दोबारा किसी अपराध में शामिल न हों। इसके लिए दिल्ली पुलिस कई कार्यक्रम चलाती है। जिसमें उनके रोजगार के लिए प्रशिक्षण देने के साथ ही उन्हें रोजगार भी मुहैया कराया जाता है।

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