मॉस्को। वैगनर के विद्रोह समाप्ति के बाद भी रूस की परेशानियां कम नहीं हुई हैं। इससे पुतिन की कमजोरियां उजागर हो गई हैं। वहीं यूक्रेन को युद्ध की विभीषिका से उबरने का मौका मिला है। जानकार बता रहे हैं कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की परेशानी अभी पूरी तरह से कम नहीं हुई है। रूस के खिलाफ बगावत करने वाले निजी सैन्य समूह ‘वैगनर’ ने भले ही अपना विद्रोह खत्म कर दिया हो, लेकिन इसने रूस की कमजोरियों को जगजाहिर कर दिया है।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सत्ता में दो दशक से अधिक के कार्यकाल को सबसे बड़ी चुनौती देते हुए ‘वैगनर ग्रुप’ के प्रमुख येवगेनी प्रीगोझिन ने गत सप्ताहांत अपने लड़ाकों को मॉस्को की तरफ कूच करने का आदेश दिया था। हालांकि प्रीगोझिन ने अचानक क्रेमलिन के साथ समझौता कर पीछे हटने और बेलारूस जाने की घोषणा कर दी थी। हालांकि अब प्रीगोझिन को बेलारूस में निर्वासन में रहना होगा। यह एक ऐसा देश है जहां बागी तेवर उनके अपने वतन (रूस) से भी ज्यादा अस्वीकार्य हैं।
फिलहाल यह नहीं कह सकते हैं कि रूस में हालात सामान्य हो गए हैं, क्योंकि बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने यह समझौता कराया है और उन्होंने ही इस संबंध में मामूली जानकारी दी। पुतिन तथा प्रीगोझिन या रूस के शीर्ष सैन्य नेतृत्व ने इस संबंध में कोई टिप्पणी नहीं की है। इससे साफ जाहिर है कि कभी भी संटत उभर सकता है। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने वीकेंड की घटनाओं को ‘असाधारण’ करार दिया और कहा कि 16 महीने पहले पुतिन यूक्रेन की राजधानी पर कब्जा करने को तैयार थे और अब उन्हें उस व्यक्ति के नेतृत्व वाली सेनाओं से मॉस्को की रक्षा करनी पड़ रही है, जो कभी उनका शिष्य था।
ब्लिंकन ने एक चैनल से बातचीत में कहा कि मुझे लगता है कि हमने रूस की दीवार में और अधिक दरारें उभरती देखी हैं।’ उन्होंने कहा, अभी यह बताना जल्दबाजी होगी कि आगे की दशा और दिशा क्या होगी, लेकिन निश्चित रूप से हमारे पास कई सवाल हैं, जिन्हें आने वाले हफ्तों या महीनों में पुतिन को सुलझाना होगा। यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि 24 घंटे के विद्रोह का यूक्रेन में युद्ध पर कोई असर होगा या नहीं। हालांकि, इसके परिणामस्वरूप रूस के लिए लड़ने वाली कुछ ताकतें युद्ध के मैदान से जरूर हट गई हैं। इस बीच, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि रविवार को उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन को फोन पर बातचीत के दौरान बताया कि रूस में वापस लिये जा चुके इस विद्रोह ने ‘पुतिन के शासन की कमजोरियों को उजागर किया है।
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