नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की ओर से डीईआरसी के चेयरमैन की नियुक्ति पर चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। साथ ही दिल्ली विद्युत नियामक आयोग के नए चेयरमैन के शपथ ग्रहण पर अंतरिम रोक भी लगा दी है। दिल्ली सरकार की याचिका पर कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी करते हुए सुनवाई 11 जुलाई तक के लिए टाल दी है। साथ ही कहा कि तब तक डीईआरसी के चेयरमैन पद की शपथ नहीं लेंगे। जस्टिस उमेश कुमार की नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए दिल्ली सरकार ने इसे चुनौती दी है।
इससे पहले देश की सबसे बड़ी अदालत ने दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए 19 मई को 2 हफ्ते में डीईआरसी का चेयरमैन नियुक्त करने का आदेश दिया था। इससे पहले कोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि दिल्ली सरकार वोटरों के लिए जिम्मेदार है, लेकिन उसके पास कदम उठाने का अधिकार ही नहीं है। केंद्र सरकार अधिकारियों की नियुक्ति को लेकर अध्यादेश ले आई और फिर एलजी वीके सक्सेना ने इस प्रक्रिया के तहत नियुक्ति कर दी।
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यह सही नहीं है, क्योंकि दिल्ली का प्रशासन दिल्ली सरकार को चलाना है। सिंघवी ने कहा कि दिल्ली सरकार अपने हिसाब से डीईआरसी का चेयरमैन नियुक्त करके यहां के लोगों को 200 यूनिट बिजली फ्री देना चाहती है, लेकिन केंद्र इसको रोकना चाहता है।एसजी तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि मुझे अभी आवेदन की प्रति मिली है।
दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने सुनवाई से पहले कहा कि आखिर केंद्र सरकार क्यों चाहती है कि डीईआरसी पर उनका कब्जा हो जाए। भारद्वाज ने केंद्र की आलोचना करते हुए कहा कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बिजली मुहैया कराने का काम दिल्ली की चुनी हुई सरकार का है। बिजली किस रेट पर देनी है, यह भी सरकार को तय करना है।
केंद्र सरकार इसमें दखल देकर क्या बिजली महंगी करना चाहती है, या बिजली की सब्सिडी बंद करवाना चाह रही है। भारद्वाज का कहना है, इतने साल से सब कुछ ठीक से चल रहा था। अचानक एलजी को लगा कि डीईआरसी का चेयरमैन केंद्र सरकार के कहने पर बनाया जाए, जबकि एक महीने पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा था कि चुनी हुई सरकार डीईआरसी के चेयरमैन को नियुक्त करेगी। लेकिन उसके बावजूद धोखा देकर एलजी विनय कुमार सक्सेना ने एक नए चेयरमैन को नियुक्त करने की कोशिश की। इस तरह से देश की सबसे बड़ी अदालत का बार-बार अपमान किया जा रहा है, यह पूरे सिस्टम को ठेंगा दिखाने वाली बात है।
दिल्ली के विवादित अध्यादेश का मामला डीईआरसी मामले से काफी जुड़ा हुआ है। डीईआरसी को लेकर दिए अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ-साफ यह कहा था कि दिल्ली विद्युत नियामक आयोग में कौन चेयरमैन बनेगा, यह दिल्ली की चुनी हुई सरकार तय करेगी। यह अध्यादेश इसलिए लाया गया ताकि दिल्ली की चुनी हुई सरकार की ताकतों को चोर दरवाजे से छीना जा सके।