नई दिल्ली। कंगाल होते पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का सहारा आखिरकार मिल ही गया। कहा जा रहा है कि जिस तरह से डूबते को तिनके का सहारा मिलता है, ठीक उसी तरह से यह कर्ज भी मिला है। गौरतलब है कि कर्ज में डूबे पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ तीन अरब डॉलर का कर्ज देने को तैयार हो गया है। तीन अरब डॉलर का ये कर्ज उसे अगले नौ महीनों में दिया जाएगा। हालांकि, इस कर्ज के लिए कई शर्तें भी हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सबसे पहली शर्त तो यही है कि पाकिस्तान सरकार को आने वाले बजट में बेवजह के खर्च और टैक्स में छूट देने से बचना होगा।
इस दौरान लोगों को बिजली बिल पर मिलने वाली सब्सिडी भी खत्म हो जाएगी। विदेशी मुद्रा भंडार बचाने के लिए पाकिस्तान ने आयात पर जो प्रतिबंध लगाया था, उसे भी हटाना होगा। कंगाल होते पाकिस्तान को तीन अरब डॉलर के कर्ज ने थोड़ा संभाल तो लिया, लेकिन अब वो आईएमएफ का चौथा सबसे बड़ा कर्जदार बन जाएगा। हालांकि पहले पाकिस्तान पांचवें नंबर पर था। बता दें कि 1947 में भारत से अलग होकर बना पाकिस्तान अब तक के सबसे बुरे आर्थिक संकट से जूझ रहा है।
पाकिस्तानी सरकार और आईएमएफ के बीच कई महीनों से बातचीत ही चल रही थी। आईएमएफ ने पाकिस्तानी सरकार के सामने कई शर्तें रखी थीं, लेकिन वो मान ही नहीं रहा था। पाकिस्तान अब जाकर आईएमएफ की शर्तें मानने को मजबूर हुआ है। दोनों के बीच लगभग 8 महीने बाद ये डील हुई है। अगस्त 2018 में जब इमरान खान सत्ता में आए थे, तब भी पाकिस्तान की हालत खराब हो गई थी।
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इस वजह से उनकी सरकार ने आईएमएफ के साथ 6.5 अरब डॉलर के कर्ज का समझौता किया था। इस कर्ज में से 1.1 अरब डॉलर पिछले साल मिलने थे, लेकिन शर्तें न मानने की वजह से ये रकम अटक गई थी। हालांकि, अब जब वो झुका तो आईएमएफ ने उसे तीन अरब डॉलर का कर्ज देने के लिए मान गया। अब तीन अरब डॉलर का कर्ज अगले नौ महीने में मिलने पर पाकिस्तान के ऊपर कुल 10.4 अरब डॉलर का कर्जा हो जाएगा। भारतीय करंसी में ये रकम 852।39 लाख करोड़ रुपये होती है। इस हिसाब से पाकिस्तान आईएमएफ का चौथा सबसे बड़ा कर्जदार बन जाएगा।