- 2019 के विस चुनाव से पहले अमित शाह के बीच मुख्यमंत्री पद के बंटवारे पर ‘‘फैसला लिया गया था - उद्धव

2019 के विस चुनाव से पहले अमित शाह के बीच मुख्यमंत्री पद के बंटवारे पर ‘‘फैसला लिया गया था - उद्धव

यवतमाल  । शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा है कि अगर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मुख्यमंत्री पद के बंटवारे पर 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले लिए गए ‘‘फैसले का सम्मान किया होता तो भाजपा कार्यकर्ताओं को अब दूसरे दलों के लिए ‘‘कालीन नहीं बिछाना पड़ता। महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के दौरे पर यवतमाल में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए ठाकरे ने अपना दावा दोहराया कि 2019 के राज्य विधानसभा चुनाव से पहले उनके तथा भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह के बीच मुख्यमंत्री पद के बंटवारे पर ‘‘फैसला लिया गया था।

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महाराष्ट्र में अजित पवार और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के कुछ अन्य विधायकों के पार्टी से बगावत करने तथा एकनाथ शिंदे नीत सरकार में शामिल होने के एक सप्ताह बाद ठाकरे ने कहा कि वह यह देखने का इंतजार कर रहे हैं कि भाजपा अपनी ‘नई टोली को कैसे संभालती है। उन्होंने यह भी कहा कि वह विदर्भ के अपने दौरे पर किसानों से जुड़े मुद्दे उठाएंगे। 

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महाराष्ट्र में 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद उद्धव ने लंबे समय तक अपनी सहयोगी रही भाजपा से मुख्यमंत्री पद के बंटवारे के मुद्दे को लेकर गठबंधन तोड़ लिया था। इसके बाद उन्होंने राकांपा और कांग्रेस के साथ मिलकर महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार बनाई थी, लेकिन जून 2022 में एकनाथ शिंदे की अगुवाई में विधायकों की बगावत के कारण एमवीए सरकार गिर गई और शिवसेना दो धड़ों में बंट गई। बाद में शिंदे भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बन गए। 
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इस साल दो जुलाई को राकांपा में अजित पवार के नेतृत्व में बगावत हुई और वह उपमुख्यमंत्री के रूप में शिंदे सरकार में शामिल हो गए। राकांपा के आठ अन्य विधायकों ने शिंदे सरकार में मंत्री पद की शपथ ली। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने रविवार को अपना दावा दोहराया कि 2019 के चुनाव से पहले उनके तथा केंद्रीय मंत्री अमित शाह के बीच एक ‘‘फैसला लिया गया था। उन्होंने दावा किया कि यह फैसला किया गया था कि शिवसेना और भाजपा के पास बारी-बारी से ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद रहेगा। 

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उन्होंने कहा, ‘‘आज भाजपा और शिवसेना के मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा कर लेते। अगर वह किया गया होता तो भाजपा के पुराने कार्यकर्ताओं को दूसरे दलों के लिए कालीन नहीं बिछानी पड़ती।

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