- ग्लोबल वॉर्मिंग से छोटा हो रहा इंसान का दिमाग

ग्लोबल वॉर्मिंग  से छोटा हो रहा इंसान का दिमाग

- 10 फीसदी छोटा हो चुका है ब्रेन
वाशिंगटन । ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण इंसान का दिमाग छोटा होता जा रहा है। बताया जा रहा है कि 10 फीसदी ब्रेन छोटा हो चुका है। इंसानी शरीर का 50 हज़ार साल पुराना रिकॉर्ड मौजूद है, जिससे पता चल रहा है कि मनुष्य का दिमाग पहले से 10 फीसदी सिकुड़ चुका है।
 
10 फीसदी छोटा हो चुका है ब्रेन क्या इसकी वजह है ग्लोबल वॉर्मिंग | Brain has  become 10 percent smaller, is it due to global warming
कैलिफोर्निया स्थित नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के साइंटिस्ट जेफ मॉर्गन स्टिबल ने ये स्टडी की है कि इंसान बदलती हुई जलवायु को कैसे बर्दाश्त करता है।अपने स्टडी पेपर में उन्होंने लिखा है कि इंसानी दिमाग पर पड़ने वाले जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को समझना आसान नहीं है। हालांकि इसका दिमाग सिकुड़ रहा है और छोटा होता जा रहा है।
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इससे उसके व्यवहार पर भी असर पड़ रहा है।जेफ मॉर्गन के मुताबिक समय-समय पर इंसान का दिमाग बदलता चला गया। जेफ ने बताया कि कई प्रजातियों के जीवों के दिमाग पिछले कुछ लाख सालों में विकसित हुआ है जबकि इंसानों के साथ उल्टा हो रहा है। 298 इंसानी खोपड़ियों के 373 माप की जांच की गई है, साथ ही इनके मिलने के भौगोलिक स्थान के मौसम की भी जांच की गई, ताकि जलवायु का पता चल सके। 
इसे अलग-अलग साल की कैटेगरी में बांटकर मौसम के हिसाब से उसकी गणना की गई। ये स्टडी 298 इंसानों के दिमाग पर की गई है। ये पुराने इंसानों के जीवाश्म दिमाग हैं, जो 50 हज़ार साल पुराने समय से लेकर अब तक के हैं। इसकी तुलना बारिश और गर्मी के आंकड़ों से जोड़कर की गई। इसमें पता चला है कि जलवायु गर्म होने पर दिमाग का औसत आकार घटने लगता है, जबकि सर्दियों में ये फैलता है। 

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