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पर्यूषण पर्व के आठवें दिन उत्तम त्याग धर्म पर मुनिश्री के प्रवचन ओर अभिषेक पूजन हुआ
- उत्तम त्याग के बिना मनुष्य मोक्ष की सीढ़ी नहीं चढ़ सकता : मुनिश्री विनय सागर
भिण्ड। जीवन में त्याग आवश्यक है। यदि हम पूरे धन का त्याग करते है तो चवन्नी भी हमारे पास नहीं हो सकती है। त्याग करने से संसार रूपी समुद्र को पार कर सकते है। पूरा त्याग करने से संसार सागर पार किया जा सकता है। हमें त्याग को नहीं भूलना चाहिए। एक किसान अपने खेतों में पसीना बहाता है। वह घर का त्याग कर खेतों में रहता है और समय का त्याग कर खेत तैयार करता है। उत्तम किस्म के बीज का त्याग करता है तब जाकर उसे अनाज की प्राप्त होती है। उत्तम त्याग के बिना मनुष्य मोक्ष की सीढ़ी नहीं चढ़ सकता। त्याग सिर्फ साधु या मुनि के लिए ही नहीं बल्कि गृहस्थ जीवन वालों के लिए भी जरूरी है। यह विचार पर्यूषण पर्व के आठवें दिन मंगलवार को उत्तम त्याग धर्म पर श्रमण मुनिश्री विनय सागर महाराज ने लश्कर रोड़ स्थित चातुर्मास स्थल महावीर कीर्ति स्तंभ में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही।
मुनिश्री ने कहा कि कहाकि हम ज्ञान, दान और त्याग को एक मानते हैं किंतु इनमें भी बडा अंतर है। दान हमेशा अच्छी वस्तु का किया जाता है जबकि त्याग में अच्छा बुरा नहीं होता। त्याग तो सभी का किया जाता है तभी आत्मा शुद्ध होती है और परमात्मा को प्राप्त करती है इसलिए दान से पूर्ण होता है और त्याग से धर्म होता है। यह भी ध्यान रखें त्याग मे दान तो होता है किंतु दान में पूर्ण त्याग नहीं होता जब दूध का त्याग करते हैं तो दही प्राप्त होता है और दही का त्याग करते हैं तो मक्खन प्राप्त होता है और मक्खन का त्याग करते हैं तो सुगंधित शक्ति वर्धक घी प्राप्त होता है। इसी प्रकार वैराग्य धारण करके घर का त्याग करते हैं पापों का त्याग करते हैं तो पूजनीय साधु अवस्था प्राप्त होती है। साधु बाहर का त्याग करते हैं तभी आत्मा का दर्शन होता और जब कर्मों का त्याग करते हैं तो केवल ज्ञान प्राप्त होता है तथा संपूर्ण कर्मों का और शरीर का त्याग हो जाता है।
शाम को उमड़ी मुनिश्री की आरती के लिए भींड, धार्मिक प्रतियोगिता में मिले पुरुस्कार
मुनिश्री के मीडिया प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि कीर्ति स्तंभ में पर्यूषण पर्व के दौरान सायंकाल श्रमण मुनिश्री विनय सागर महाराज की जैन समाज के महिलाये, पुरुष और बच्चों ने गुरु भक्ति के दौरान संगीतमय झूमते हुए हाथों में सज्जिधज्जि दीपक की थाली से महाआरती की गई। वही बालिकाओं द्वारा भक्ति नृत्य की प्रस्तुतियां के साथ धार्मिक प्रतियोगिता की गई। जिसमें विजेता प्रतिभागियों को पुरुस्कार देकर सम्मानित किया गया।
त्याग की आरधान कर किया भगवान जिनेंद्र का अभिषेक ओर शांतिधारा के साथ पूजन में अर्घ्य
मुनिश्री के मीडिया प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि श्रमण मुनिश्री विनय सागर महाराज ने मंत्रो का उच्चारण कर उत्तम त्याग की आरधान के साथ श्रावकों ने सिर पर मुकुट ओर पीले वस्त्रों पहनकर कलशो से भगवान जिनेंद्र का अभिषेक जयघोष के साथ किया। मुनिश्री विनय सागर महाराज ने अपने मुख्यबिंद से मंत्रो का उच्चारण भगवान जिनेन्द्र के मस्तक पर बृहद शांतिधारा श्रावकों ने की। पर्यूषण पर्व पर श्रमण मुनिश्री विनय सागर महाराज के सानिध्य में श्रावक श्राविकाओं ने उत्तम त्याग की आरधान कर पूजन में संगीतमय भक्ति में झूमकर भगवान जिनेन्द्र के समझ महाअर्घ्य समर्पित किये।
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