- ईडी को धारा 50 में गिरफ्तारी का अधिकार नहीं

ईडी को धारा 50 में गिरफ्तारी का अधिकार नहीं

हाईकोर्ट ने कहा- इसमें एजेंसी को समन जारी करने, डॉक्यूमेंट्स देखने की शक्ति
नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की धारा 50 के तहत एजेंसी को किसी व्यक्ति को समन जारी करने का अधिकार है, लेकिन गिरफ्तारी का नहीं। जस्टिस अनूप जयराम भंभानी ने यह आदेश दिया। उन्होंने कहा कि पीएमएलए की धारा 50 के तहत किसी व्यक्ति को समन जारी करने, डॉक्यूमेंट्स की जांच करने और बयान दर्ज करने का अधिकार है, जिसका अधिकार किसी भी सिविल कोर्ट को होता है। वहीं, पीएमएलए की धारा 19 के तहत किसी शख्स को गिरफ्तार करने का अधिकार है।कोर्ट ने कहा कि अगर एजेंसी किसी शख्स को धारा 50 के तहत समन जारी करती है, लेकिन बाद में उसे गिरफ्तार कर लेती है। ऐसी स्थिति में जब शख्स कोर्ट को बताएगा कि एजेंसी ने मुझे पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन गिरफ्तार कर लिया। कोर्ट उसे आसानी से बरी कर देगी।

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एजेंसी ने साल 2020 में आशीष मित्तल के खिलाफ ईसीआईआर के तहत केस दर्ज किया था। अशीष ने एजेंसी की ओर से दर्ज केस को खत्म करने के लिए कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। आशीष ने ईसीआईआर के तहत ईडी की ओर से केस में किसी भी कार्रवाई को रोकने की मांग की थी। ईडी ने याचिकाकर्ता को 21 अगस्त को पूछताछ के लिए बुलाया था। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पीएमएलए की धारा 50 के तहत एजेंसी को मिले अधिकारों का जिक्र किया। आशीष मित्तल ने कोर्ट में बताया कि उनके खिलाफ एजेंसी ने ईसीआईआर के तहत केस दर्ज किया, लेकिन उन्हें इसकी कॉपी नहीं दी। जबकि कानून के अनुसार उन्हें कॉपी दिए जाने का अधिकार है।
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- पीएमएलए को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी सुनवाई कर रहा
सुप्रीम कोर्ट भी पीएमएलए को लेकर दाखिल की गई एक रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई कर रही है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के कई प्रावधानों को गैर-संवैधानिक बताकर चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने जुलाई 2022 में मामले पर सुनवाई करते हुए कानून को सही ठहराया। इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने रिव्यू पिटीशन दाखिल कर कोर्ट से मामले पर दोबारा विचार करने की अपील की थी। रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने माना कि पीएमएलए के दो नियम, ईडी की तरफ से दर्ज एफआईआर की रिपोर्ट आरोपी को न देने के प्रावधान और खुद को निर्दोष साबित करने का जिम्मा आरोपी पर होने के प्रावधान पर विचार करने की जरूरत है। मामले में अगली सुनवाई 22 नवंबर को होगी।
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