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अमेरिकी उद्योगों में भारतीय छात्रों का योगदान बढ़ाने की मांग
वाशिंगटन। अमेरिका में पढ़ाई करने वाले छात्रों को वहां के उद्योगों में अपेक्षानुसार अवसर नहीं मिल पा रहे हैं। इसके लिए कुछ नियम बाधक बने हुए हैं। स्नातक की पढ़ाई कर रहे छात्रों और उपलब्ध एच1बी वीसा के बीच बहुत अधिक अंतराल बताते हुए एक भारतीय प्रवासी समुदाय निकाय ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन प्रशासन से विदेशी छात्रों के लिए वैकल्पिक व्यावहारिक प्रशिक्षण (ओपीटी) कार्यक्रम में बदलाव करने का आग्रह किया है। फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज ने अमेरिकी गृह मंत्री एलेजांद्रो मयोरकास को लिखे एक पत्र में कहा कि इस अंतराल के कारण भारतीय छात्र अमेरिकी उद्योग में योगदान करने के अवसर से चूक रहे हैं।
सुझाए गए कई बदलावों में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभियान्त्रिकी और गणित (एसटीईएम) के विषयों में डिग्री वाले पात्र छात्रों के लिए एसटीईएम ओपीटी की अवधि को 24 महीने से बढ़ाकर 48 महीने करना, ओपीटी पीजी में आवेदन करने की अवधि को 60 दिन से बढ़ाकर 180 दिन करना और एसटीईएम डिग्री धारकों को गैर-एसटीईएम डिग्री धारकों की तुलना में एच1बी वीजा लॉटरी में चुने जाने के छह गुना अधिक अवसर प्रदान करना है। नीति और रणनीति प्रमुख खंडेराव कांड ने पत्र में कहा,
‘‘ऐसा करने से हम न केवल उस प्रतिभा को बनाए रखते हैं जो हमारे नवाचार को बढ़ावा देती हैं बल्कि यह उन आर्थिक लाभों के लिए भी आवश्यक है जो इस छात्रों से हमारे देश को मिलता है। उन्होंने पत्र में कहा, ‘‘वैश्विक प्रौद्योगिकी के उभरते परिदृश्य और कृत्रिम बुद्धिमत्ता एवं साइबर सुरक्षा में बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए अत्यधिक कुशल एसटीईएम छात्र न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद है बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का भी मामला है। राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) ने उभरती प्रौद्योगिकियों में प्रतिभा की कमी को राष्ट्रीय सुरक्षा में खतरे के रूप में उजागर किया है।
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