नई दिल्ली। हमास-इजरायल युद्ध दुनिया के कई देशों को अपनी चपेट में लेने लगा है। अमेरिका को भी इस भीषण युद्ध में इजरायल का समर्थन करने पर परिणाम सामने दिख रहे हैं। क्योंकि सीरिया और इराक में अमेरिकी मिलिट्री बेस पर ताबड़तोड़ हमले किए गए हैं। अमेरिका के इस दांव से कई मुस्लिम देश खफा हैं। ताजा घटनाक्रम में अमेरिका को इसके साइड इफेक्ट झेलने को मजबूर होना पड़ा है। इन हमलों ने अमेरिकी रक्षा विभाग (पेंटागन) की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
पेंटागन के प्रवक्ता पैट राइडर ने कहा है कि इराक और सीरिया में अमेरिकी सैन्य बेस पर 17 अक्टूबर से 24 अक्टूबर तक 13 बार मिसाइल और ड्रोन से अटैक किए गए हैं। इन हमलों में 24 अमेरिकी सैनिक घायल हुए हैं, जबकि एक की हमले के दौरान ही हार्ट अटैक से मौत हो गई है। इराक में इस्लामिक रेजिस्टेंस नामक एक संदिग्ध संगठन द्वारा टेलीग्राम पर पोस्ट किए गए वीडियो की एक श्रृंखला में ईरान समर्थित मिलिशिया से संबंधित ड्रोन को रेगिस्तान से उड़ान भरते और दूर तक जाते देखा जा सकता है। इन वीडियो को अशुभ संकेतों के साथ जोड़ा गया है, जिसमें आगे हमलों की धमकी दी गई है।हालांकि वीडियो के स्थान को सत्यापित नहीं किया जा सका है, लेकिन वीडियो के मेटाडेटा से संकेत मिलता है कि वीडियो अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर पुष्ट हमलों के दिनों में लिए गए थे।
दरअसल पिछले छह महीने से ज्यादा वक्त से ईरान समर्थित समूहों ने अमेरिकी सेना के खिलाफ इराक और सीरिया में एक भी ड्रोन या रॉकेट लॉन्च नहीं किया था लेकिन हमास-इजरायल युद्ध के मद्देनजर ईरान समर्थित समूहों ने अमेरिकी सेना को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। इराक और सीरिया में सेना पर हमलों को बड़े पैमाने पर अमेरिका द्वारा रोका गया है। अमेरिका लंबे समय से मध्य पूर्व में अपने सैन्य बलों को कम करने की बात करता रहा है लेकिन इस क्षेत्र में अमेरिकी सेना की उपस्थिति को और जटिल बना दिया है। हालांकि राइडर ने इस बात से इनकार किया है कि उनके पास इस बात के कोई पुख्ता सबूत हैं कि हमले ईरान ने करवाए हैं।बाइडेन प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा कि जब आप इनमें से कई समूहों की गतिविधियों और हमलों पर पर ईरानी उंगलियों के निशान मिलेंगे। उन्होंने कहा कि पूरे मध्य पूर्व में ईरान के पास लेबनान, सीरिया, इराक, यमन, गाजा और बहरीन में प्रॉक्सी बलों का एक नेटवर्क है। उन समूहों के अपने स्थानीय एजेंडे भी हैं।
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वे ईरान से हथियार, धन और प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं और क्षेत्र में तेहरान के प्रभाव को बढ़ाते हैं। उधर, लाल सागर में भी अमेरिकी सैन्य बेस पर खतरा बढ़ गया है। रेड सी में तैनात अमेरिकी विध्वंसक युद्धपोत यूएसएस कार्नी ने 19 अक्टूबर को कई मिसाइलों और ड्रोनों को मार गिराया, जो ईरान समर्थित हौथी विद्रोहियों द्वारा दागे गए थे। बता दें कि अमेरिका के अंदर भी गाजा पट्टी में फिलिस्तीनी नागरिकों को निशाना बनाए जाने का विरोध हो रहा है। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि हमास के खिलाफ युद्ध में इजरायल की कुछ कार्रवाइयां, जैसे गाजा के लिए भोजन और पानी में कटौती फिलिस्तीनी रवैये को बदल सकती है और इसे सख्त कर सकती है। ओबामा ने कहा कि इस तरह की कार्रवाई इजरायल के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन को कमजोर कर सकती हैं।