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दिल्ली के बिगड़ते एक्यूआई पर हाई कोर्ट की वन विभाग को फटकार
नई दिल्ली । दिल्ली में वैकल्पिक वन के निर्माण और विभाग में रिक्तियों को भरने के मुद्दों पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने वन विभाग को दिल्ली वायु गुणवत्ता के लिए जिम्मेदार बताया। न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा कि राजधानी की वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में सुधार हो यह सुनिश्चित करने के लिए उसे कदम उठाने चाहिए। पीठ ने टिप्पणी की कि प्रदूषित हवा में सांस लेने के कारण बच्चे अस्थमा से पीड़ित हो रहे हैं
और सरकारी अधिकारियों की नाक के ठीक नीचे राष्ट्रीय राजधानी के फेफड़े माने जाने वाले रिज क्षेत्र में अतिक्रमण हो रहा है। मामले में अगली सुनवाई आठ नवंबर को होगी। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि दिल्ली के निवासियों को सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा का मौलिक अधिकार है और हरियाली इसमें बहुत मदद करती है। वन विभाग के प्रमुख सचिव को युद्ध स्तर पर रिक्तियों को भरने के लिए कहते हुए पीठ ने कहा कि हम जिस हवा में सांस लेते हैं उसकी गुणवत्ता के लिए आप जिम्मेदार हैं। यह सुनिश्चित करना आपका दायित्व है कि एक्यूआइ में कमी आए।
अदालत ने चिंता जाहिर की कि दिसंबर-जनवरी में लोगों को उस समय बाहर जाना पड़ता है जब यह यहां रहने का सबसे अच्छा समय होता है। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिकारी ने अदालत को सूचित किया कि विभाग हरियाणा सीमा के पास ईसापुर में 136 एकड़ मानित वन भूमि का पर्यावरण-पुनर्स्थापन करने जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि विभिन्न प्राधिकरणों द्वारा यमुना के बाढ़ क्षेत्रों का पारिस्थितिक रूप से कायाकल्प और जीर्णोद्धार किया जा रहा है। यह भी आश्वासन दिया कि वन विभाग में विभिन्न रिक्त पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कदम उठाए जाएंगे। 10 अक्टूबर को अदालत ने वैकल्पिक वन विकसित करने के लिए अधिकारियों से 750 हेक्टेयर भूमि चिन्हित करने की मांग की थी।
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