प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेवड़ियो मैं सबसे बड़ी रेवड़ी 5 किलो अनाज 5 साल तक देने की घोषणा की है। छत्तीसगढ़ के दुर्ग की चुनाव रैली में उन्होंने घोषणा की है, कि गरीब कल्याण योजना 5 साल तक चालू रहेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस घोषणा से पांच राज्यों के चुनाव के साथ-साथ लोकसभा का चुनाव भी तय हो गया है। 5 किलो फ्री अनाज के नाम पर मतदाताओं को अपने साथ जोड़ने की यह सबसे बड़ी घोषणा है।इसे रेवड़ी का बाप भी कहा जा रहा है। 80 करोड लोगों को 5 साल तक फ्री में अनाज मिलता रहेगा। इस बीच मोदी के नाम पर वोट भी मिलते रहेंगे। वैसे यह योजना 27 दिसंबर 2023 को खत्म हो रही थी। लेकिन अब मतदाताओं को आश्वस्त हो जाना चाहिए,कि 2028 तक यह योजना चलती रहेगी। जय श्री राम, हो गया मतदाताओं का काम।
क्यों बिखर रहा है विपक्षी गठबंधन
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव हो रहे हैं।इसमें इंडिया गठबंधन के सहयोगी दल अपने-अपने उम्मीदवार खड़े किये हैं।मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों के उम्मीदवार खड़े हुए हैं।मध्य प्रदेश मैं सबसे ज्यादा 90 सीटों पर सहयोगी दल की उम्मीदवार खड़े हैं।तीनों राज्यों में कांग्रेस और भाजपा के बीच मुख्य मुकाबला है। इसमें सहयोगी दल के ही उम्मीदवार वोट कटवा के रूप में खड़े हो गए हैं।अब लोकसभा चुनाव को लेकर यह बात होने लगी है, कि उस समय तक तालमेल बनेगा कि नहीं।जो खटास पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में आ गई है।वह लोकसभा चुनाव में भी बनी रहेगी।
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सीपीएम और कांग्रेस के बीच का तालमेल?
सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने इंडिया गठबंधन को बता दिया है,कि वह पश्चिम बंगाल में टीएमसी के साथ कोई तालमेल नहीं करेगी। अब कांग्रेस को तय करना पड़ेगा कि वह पश्चिम बंगाल में किस तरह का गठबंधन करती है। कांग्रेस पश्चिम बंगाल में दो पाटों के बीच में फंसकर रह गई है। एक और टीएमसी है, दूसरी और सीपीएम है।वर्तमान स्थिति को देखते हुए यही कहा जा सकता है कि हाल फिलहाल पश्चिम बंगाल में त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति बनी रहेगी। जिसके कारण पश्चिम बंगाल की राजनीतिक स्थिति सबसे ज्यादा हैरान और परेशान करने वाली बनी हुई है। मुस्लिम मतदाताओं का रुझान पश्चिम बंगाल में भी कांग्रेस की तरफ बढ़ रहा है। टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी को एक साथ दो मोर्चे पर एक साथ लड़ना पड़ रहा है। एक और वह मुस्लिम वोटो को अपनी तरफ बना कर रखना चाहती हैं।इसलिए ममता दीदी कांग्रेस को कमजोर करने की रणनीति पर काम कर रही हैं। वहीं सीपीएम के साथ टीएमसी किसी भी कंडीशन में कोई समझौता नहीं करेगी। भारतीय जनता पार्टी को लगता है कि इस स्थिति में उसे सबसे ज्यादा फायदा होगा।पश्चिम बंगाल में त्रिकोणीय संघर्ष होगा तो भाजपा की स्थिति वर्तमान की तुलना में ज्यादा मजबूत होगी। भाजपा इसी संभावनाओं पर पश्चिम बंगाल में आत्ममुग्ध होकर दो की लड़ाई में फायदा उठाने की रणनीति बना रही है।
क्षेत्रीय पार्टियों और कांग्रेस मैं तालमेल?
क्षेत्रीय पार्टियों को सबसे ज्यादा कांग्रेस से परेशानी आ रही है। कांग्रेस का जनाधार सारे देश में है। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का ग्राफ बढ़ने लगा है। मुस्लिम वोट भी कांग्रेस की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। इसमें सबसे ज्यादा तकलीफ मुस्लिम पार्टियों और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों को हो रही है। उन्हें लग रहा है कि कांग्रेस 30 साल पुराने वाले समीकरण में मतदाताओं तक अपनी पहुंच बनाने में सफल होती है, तो क्षेत्रीय दलों का आशियाना बिखरते हुए देर नहीं लगेगी। जिसके कारण सभी क्षेत्रीय दल,इंडिया गठबंधन के सहयोगी दल और मुस्लिम राजनीतिक दल कांग्रेस से छिटक रहे हैं। लोकसभा चुनाव तक विपक्षी गठबंधन इंडिया बना रहेगा, या नहीं इसको लेकर भी अब अटकलें का दौर शुरू हो गया है। बीजेपी इंडिया गठबंधन में पलीता लगाने का कोई मौका छोड़ नहीं रही है। जिसके कारण इंडिया गठबंधन को लेकर अब सभी तरफ असमंजस की स्थिति देखी जा रही है।