गाजा। एक महीने से गाजा में इजराइली सेना बमबारी कर रही है। यहां लोगों का निकलना मुश्किल हो गया है। बुनियादी जरुरतें भी पूरी नहीं हो रही है। न भोजन है और न पानी। अब संचार सेवाएं भी ठप हो गई हैं। इजराइल ने हमास के खिलाफ जारी युद्ध के तहत गाजा सिटी की घेराबंदी कर तटीय पट्टी को दो भागों में विभाजित कर दिया है। इजराइल की सेना ने यह जानकारी दी। गाजा में रविवार को तीसरी बार संचार सेवा फिर से ठप हो गई। इजराइली सेना के रियर एडमिरल डेनियर हैगारी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘अब उत्तर गाजा और दक्षिण गाजा को विभाजित किया गया है। उन्होंने इसे गाजा पर शासन कर रहे हमास के आतंकवादियों के खिलाफ इजराइल के युद्ध में ‘‘अहम चरण बताया।
इजराइली मीडिया के अनुसार, सैन्य बलों के आगामी 48 घंटे में गाजा पट्टी में घुसने की संभावना हैं। उत्तरी गाजा में रात भर जोरदार विस्फोट हुए। इंटरनेट तक पहुंच का समर्थन करने वाले समूह संचार सेवा ठप होने की जानकारी दी और फलस्तीनी दूरसंचार कंपनी पालटेल ने भी इसकी सूचना दी। संचार सेवा ठप हो जाने के कारण सैन्य अभियान के नए चरण की जानकारी लोगों तक पहुंचाना जटिल हो गया है। इससे पूर्व भी गाजा में पहले 36 घंटे और दूसरी बार कुछ घंटे संचार सेवा ठप रही थी।
गाजा के स्वास्थ्य अधिकारियों ने यह जानकारी दी। इजराइल-हमास संघर्ष पर अपनी पश्चिम एशिया कूटनीति के तहत अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने रविवार को कब्जे वाले वेस्ट बैंक के रामल्ला का दौरा किया और फलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास से मुलाकात की। इजराइल में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ बातचीत करने के बाद, ब्लिंकन ने शनिवार को जॉर्डन में अरब देशों के विदेश मंत्रियों से मुलाकात की। नेतन्याहू ने जोर देकर कहा कि जब तक हमास द्वारा बंधक बनाए गए सभी बंधकों को रिहा नहीं किया जाता, तब तक कोई अस्थायी संघर्ष-विराम नहीं हो सकता। अमेरिका ने आम नागरिकों को राहत देने के लिए इजराइल से कुछ वक्त के लिए हमले रोकने की अपील की थी, लेकिन इजराइल का कहना है कि वह गाजा में हमास शासकों को कुचलने के लिए अपने हमले जारी रखेगा।
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अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन, फ्रांस की राजधानी पेरिस, जर्मनी की राजधानी बर्लिन और अन्य यूरोपीय शहरों में फलस्तीन समर्थक हजारों लोगों ने गाजा में इजराइली बमबारी रोकने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। ये प्रदर्शन इजराइल-हमास युद्ध में हताहत हुए लोगों की बढ़ती संख्या और गहराते मानवीय संकट को लेकर यूरोप के उन देशों में बढ़ रहे असंतोष को दर्शाते हैं, जहां मुस्लिम आबादी अधिक है।