नई दिल्ली । देश की सबसे सुरक्षित तिहाड़ जेल एक बार फिर वहां बंद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के हाई प्रोफाइल केसों के बंदियों को अवैध तरीके से सुविधाएं मुहैया कराए जाने को लेकर चर्चा में है। जेल नंबर सात में ईडी के मनी लॉड्रिंग केस के 85 आरोपित बंद हैं, जिनमें कुछ राजनीतिक पार्टियों के नेता और अधिकतर दिल्ली आबकारी घोटाले से संबंधित शराब कारोबारी और अन्य व्यवसायी हैं। आरोप है कि इन बंदियों को जेल के अंदर बाहर से खाने-पीने का सामान, शराब और सिगरेट आदि सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। तिहाड़ जेल सूत्रों के मुताबिक, जेल के एक अधीक्षक और एक इंस्पेक्टर पर बंदियों को सुविधाएं मुहैया कराने का आरोप है। इसके एवज में बंदियों से हर माह लाखों रुपये वसूलने का आरोप है।
रैनबैक्सी के पूर्व प्रमोटर शिवेंदर सिंह और मालविंदर सिंह भी जेल नंबर सात में ही बंद हैं। बड़े व्यवसायी व नेता होने के कारण तिहाड़ के जेल नंबर सात पर पूरे जेल प्रशासन का खास मकसद से सबसे ज्यादा ध्यान रहता है। सूत्रों की मानें तो इस जेल में हर जगह सीसीटीवी कैमरे इसलिए नहीं लगाए गए हैं, ताकि बंदियों को सुविधाएं मुहैया कराने की तस्वीरें कैमरे में कैद नहीं हों और जेल प्रशासन की भूमिका पर सवाल न उठें। इस मामले में जेल अधिकारियों का कहना है कि पहले मनी लॉड्रिंग के जुड़े केस के बंदियों को अलग-अलग जेलों में रखा जाता था।
तब जेल में बंद दूसरे मामलों के बंदी एवं कैदी ईडी के बंदियों को धमकी देकर उगाही की कोशिश करते थे। इसलिए सुरक्षा कारणों से पिछले कुछ वर्षों से ईडी के बंदियों को एक ही जेल में रखा जाता है। माना जा रहा था कि संदीप गोयल को हटाकर संजय बेनीवाल को जेल का नया डीजी बनाने पर हालात में सुधार आ सकता है, लेकिन इसी साल 20 मई की सुबह अतिसुरक्षित सेल में कुख्यात गैंगस्टर संदीप उर्फ टिल्लू ताजपुरिया की गोगी गिरोह के बदमाशों ने सरेआम हत्या कर सनसनी फैला दी थी। अब ईडी के हाई प्रोफाइल बंदियों को सुविधाएं मुहैया कराने को लेकर आइपीएस लाबी में कुछ समय से जोरों पर चर्चा है।