रिटायरमेंट के बाद ज्यादातर निवेशक अपने रुपये पैसे को लेकर सजग रहते हैं और जब निवेश की बात होती है तो वह इसके लिए पूरी तरह से सुरक्षित विकल्प खोजते हैं. सीनियर सिटीजंस के लिए अपनी जमा पूंजी के बड़े हिस्से को सुरक्षित निवेश करने और उसके जरिए स्टेबल रिटर्न पाने के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट (स्नष्ठ) सबसे अच्छे विकल्पों में शामिल है. असल में रिटायरमेंट के बाद निवेशक बाजार का ज्यादा जोखिम लेने की स्थिति में नहीं होते हैं. ऐसे में निश्चित रूप से फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) जैसे सुरक्षित निवेश विकल्प उनके लिए बेहतर है. इस पर न सिर्फ रिटर्न की गारंटी होती है, वहीं आपका पैसा भी सेफ रहता है. सीनियर सिटीजेंस फिक्स्ड डिपॉजिट पर बैंक सामान्य एफडी की तुलना में ज्यादा ब्याज देते हैं. इन योजनाओं में जोखिम बहुत ही कम होता है.
सीनियर सिटीजन आम तौर पर बाजार का रिस्क नहीं लेना चाहते हैं. उनकी जोखिम लेने की क्षमता कम होती है और वे अपना पैसा सुरक्षित निवेश विकल्पों में निवेश करते हैं. बैंक या अन्य वित्तीय संस्थान सीनियर सिटीजंस को लो रिस्क कैटेगरी का मानते हैं और उन्हें निवेश के लिए आकर्षित करने के लिए एफडी पर ज्यादा ब्याज दरों की पेशकश करते हैं. एक और वजह यह है कि बैंक उन्हें अपना भरोसेमंद ग्राहक मानते हैं, क्योंकि रिटायरमेंट के बाद ज्यादातर सीनियर सिटीजंस की पसंद एफडी होती है.
ज्यादातर बैंक सीनियर सिटीजंस फिक्ड डिपॉजिट में सामान्य फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीम की तुलना में 50 बेसिस प्वॉइंट यानी 0.50 फीसदी अतिरिक्त ब्याज देते हैंआपने तय ब्याज दर पर एफडी लॉक कर दी तो मैच्योरिटी तक दरों में कोई बदलाव नहीं होगा. यानी गारंटी के साथ रिटर्न.भारत में द्वारा बैंकों को रेगुलेट किया जा रहा है. सरकार समर्थित स्कीम होने के चलते एफडी पूरी तरह से सुरक्षित है.
फिक्स्ड डिपॉजिट में एनुअल बेसिस पर, तिमाही बेसिस पर या मंथली बेसिस पर इंटरेस्ट पेआउट का विकल्प चुन सकते हैं.
एफडी का इस्तेमाल लोन लेने के लिए कोलैटरल के रूप में किया जा सकता है. सबसे जरूरी कि इसमें अकाउंट खोलने की प्रक्रिया बेहद आसान है.
5 साल की टैक्स सेविंग स्नष्ठ में निवेश करने पर इनकम टैक्?स एक्ट के सेक्शन 80सी के तहत 1.50 रुपये तक की जमा पर टैक्स बेनिफिट ले सकते हैं. वहीं इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80 के अनुसार, सीनियर सिटीजंस एफडी पर एक वित्त वर्ष में अर्जित होने वाले 50 हजार रुपये तक के ब्याज पर टैक्स नहीं देना होता है. अगर किसी वित्त वर्ष में ब्याज की राशि 50 हजार रुपये से अधिक हो तो बैंक इस आय पर टीडीएस वसूलेंगे. आईटी की धारा 194ए के तहत टीडीएस वर्तमान में 10 फीसदी कम है. वरिष्ठ नागरिक एफडी पर अर्जित ब्याज के तहत टैक्स छूट का दावा करने के लिए फॉर्म 15 ,का उपयोग कर सकते हैं.