उत्तरकाशी । बीते 13 दिनों से सिलक्यारा टनल में 41 श्रमिक फंसे हुए हैं। इन्हे निकालने के विश्वस्तरीय प्रयास भी पूरी तरह सफल नहीं हो पा रहे हैं। इसी बीच दावे होते हैं कि बहुत जल्द मजदूर खदान से निकलने वाले हैं,फिर थोड़ी ही देर में खबर आती है कि तकनीकी खराबी के चलते फिलहाल काम रोकना पड़ा है। एक बार फिर ऐसे ही दावों भरी खबर आ रही है कि रेस्क्यू टीम श्रमिकों के पास पहुंचने ही वाली है,उन तक पहुंचने के लिए चंद कदम की दूरी ही बाकी हैं। इसी बीच एक और खबर आई कि मजदूरों को व्यस्त रखने के लिए लूडो और ताश भी भेजने की योजना बनाई जा रही है।
ये भी जानिए..........
इससे आशंका व्यक्त की जाने लगी है कि श्रमिक जल्द निकलने ही वाले हैं फिर उन्हे ताश और लूडो की क्या जरुरत है। जब 13 दिन वे बगैर ताश और लूडो के अपना समय बिता सकते हैं तो घंटे दो घंटे का टाइम पास कौन सी बड़ी बात है। चार धाम प्रोजेक्ट के तहत बन रहे सिलक्यारा टनल फंसे मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए युद्धस्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। वहीं मजदूरों को पाइप के जरिए भोजन-पानी, दवाई और ऑक्सीजन भेजी जा रही है। इस बीच एक अधिकारी ने गुरुवार को कहा कि बचाव दल ने सिल्कयारा सुरंग के अंदर फंसे 41 श्रमिकों को बोर्ड गेम और प्लेइंग कार्ड उपलब्ध कराने की योजना बनाई है। क्योंकि उन्हें निकालने का अभियान कई दिक्कतों की वजह से बाधित हो रही है। गुरुवार की देर रात, ध्वस्त सुरंग के मलबे के माध्यम से बोरिंग को फिर से रोक दिया गया था। हालांकि आज फिर से ड्रिलिंग शुरू कर दी गई है।बचाव स्थल पर मौजूद मनोचिकित्सक डॉ. रोहित गोंडवाल ने बताया, ‘‘हम उन्हें (फंसे हुए मजदूर) तनाव दूर करने में मदद के लिए लूडो, शतरंज और ताश उपलब्ध कराने की योजना बना रहे हैं। अभियान में देरी हो रही है और ऐसा लगता है कि कुछ समय और लगेगा।’’ उन्होंने कहा कि सभी 41 श्रमिक ठीक हैं लेकिन उन्हें स्वस्थ और मानसिक रूप से ठीक रहने की जरूरत है।
गोंडवाल ने कहा, ‘उन्होंने हमें बताया कि वे ‘चोर-पुलिस’ खेलते हैं, तनाव दूर करने के लिए रोजाना योग और व्यायाम करते हैं।’ इन श्रमिकों के मानसिक स्वास्थ्य पर एक अन्य चिकित्सा विशेषज्ञ ने कहा कि उनका मनोबल ऊंचा रहना चाहिए और उन्हें आशावान रखना चाहिए। चिकित्सकों की एक टीम प्रतिदिन श्रमिकों से बात करती है और उनके स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति के बारे में जानकारी लेती है।श्रमिकों को निकालने के अभियान में कई व्यवधान आ रहे हैं। बृहस्पतिवार देर रात सुरंग के मलबे के बीच से पाइप डालने के काम को रोकना पड़ा क्योंकि जिस प्लेटफॉर्म पर ड्रिलिंग मशीन टिकी हुई है उसमें दरारें दिखने के बाद ड्रिलिंग रोक दी गई थी। ड्रिलिंग का काम शुक्रवार सुबह भी प्रारंभ नहीं हो सका।
बुधवार देर रात ‘ऑगर’ मशीन के रास्ते में आए लोहे के गर्डर को काटने में छह घंटे की देरी के बाद दिन में बचाव अभियान फिर से शुरू होने के कुछ घंटों बाद हालिया बाधा आई। उत्तराखंड के चार धाम मार्ग में निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने के बाद 12 नवंबर को कई एजेंसियों द्वारा बचाव अभियान शुरू होने के बाद से यह तीसरी बार है कि जब ड्रिलिंग का कार्य रोका गया है। अधिकारियों ने कहा कि बचावकर्मी मलबे को 48 मीटर तक भेदने में कामयाब रहे हैं। हालांकि, फंसे हुए मजदूरों को निकालने के लिए 10 मीटर का रास्ता तय करना बाकी है। उत्तरकाशी और देहरादून के चिकित्सकों और मनोचिकित्सकों सहित एक दर्जन चिकित्सकों की एक टीम घटनास्थल पर मौजूद है। अधिकारियों ने कहा कि टीम के सदस्य फंसे हुए मजदूरों से नियमित रूप से सुबह कम से कम 30 मिनट और शाम के वक्त इतनी ही देर तक बात करते हैं।