नई दिल्ली,। सेना में भर्ती होना ही अपने आपको को देश के लिए समर्पित करना होता है। फिर बहादुरी का जज्बा है तो दुश्मन को धूल चटाने के लिए शहीद भी होना पड़े तो भारतीय जवान कभी पीछे नहीं हटता। कुछ ऐसा ही जज्बा अलीगढ निवासी बहादुर सैनिक सचिन लौर के मन में था। जब आतंकियों से भिड़ने की बारी आई तो उन्होंने बिना किसी परवाह के दुश्मनों का डटकर मुकाबला किया और शहीद हो गए।
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सचिन की 8 दिसंबर को शादी थी। उऩकी शादी मथुरा के माट में तय हुई थी। घर में उऩकी शादी की तैयारी चल रही थी और खुशियों का माहौल था। घरवालों ने बताया कि राजौरी में मुठभेड़ से पहले सचिन ने बड़े भाई विवेक से फोन पर बात की थी। कहा था कि सब कुछ ठीक है। सचिन ने कहा था कि ऑपरेशन चल रहा है, फ्री होकर बात करूंगा। इसके बाद फिर बात नहीं हुई और यह दुखद खबर सामने आई। सचिन लौर के बड़े भाई विवेक लौर नेवी में हैं। विवेक इस समय कोच्चि में तैनात हैं। उऩकी पत्नी और बेटा गांव में ही मां-बाप के साथ रहते हैं। एक बहन हैं उनकी शादी हो चुकी है।
सेना के पैरा कमांडो सचिन लौर ने राजोरी में आतंकियों से लोहा लेते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। गुरुवार को परिजनों को इसकी जानकारी मिली तो घर और इलाके में मातम पसर गया। उनकी मौत की खबर सुनते ही परिजन बेसुध हो गए। सबके दुलारे सचिन की शहादत की खबर सुनने के बाद परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। सचिन की उम्र महज 24 साल थी। पूरे इलाके में शोक की लहर है। वही आसपास गांव के लोग सचिन के परिजनों का दुख बांटने उनके घर पहुंच रहे हैं। सचिन के पिता रमेशचंद किसान हैं। पिता रमेशचंद और मां भगवती देवी का रो-रोकर बुरा हाल है। शुक्रवार को सचिन का पार्थिव शरीर टप्पल लाया जाएगा।
बता दें कि राजौरी में आतंकियों के साथ 28 घंटे तक चली मुठभेड़ में सेना के जवान सचिन लौर शहीद हो गए। इस मुठभेड़ में सेना को भारी नुकसान उठाना पड़ा है, उसके दो कैप्टन सहित पांच सैनिकों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। राजौरी के कालाकोट के बाजिमाल में बुधवार को हुई मुठभेड़ में सेना के 9 पैरा कमांडो रेजिमेंट के दो अधिकारियों सहित पांच जवान शहीद हो गए। सचिन लौर 20 मार्च 2019 को सेना में भर्ती हुए थे। वहीं 2021 में स्पेशल फोर्स में कमांडो बन गए। इस समय राजौरी के पैरा टू रेजिमेंट में तैनात थे।