वैशाली । जिला मुख्यालय हाजीपुर के कोनहारा घाट को मोक्ष धाम कहा जाता है। यही वह स्थान है, जहां भगवान विष्णु ने गज यानी हाथी रूपी अपने भक्त की पुकार पर आकर घड़ियाल का वध कर उसके चंगुल से हाथी को मुक्त कराया। भगवान के हाथों वध होने के बाद घड़ियाल को भी मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। तभी से इस जगह को मोक्ष धाम माना जाता है। इस स्थान की एक और विशेषता है। यहां कार्तिक पूर्णिमा की रात को भूतों का मेला लगता है। लोगों को भूत-प्रेत से मुक्ति दिलाई जाती है। कल रात को भी चिता के पास भूतखेली की गई। जिसमें हजारों लोग शामिल थे।
पूर्वी भारत के अधिकांश ओझा गुनी के लिए कार्तिक पूर्णिमा का दिन विशेष होता है। भूत-प्रेत जैसी बुरी आत्माओं से छुटकारा पाने और दिलाने के लिए ओझा और पीड़ित इस खास कार्तिक पूर्णिमा का साल भर इंतजार करते हैं। कई लोग थे, जो सिर्फ भूत खेली देखने आए हुए थे। श्मशान में मौजूद ओझा रंजीत भगत ने बताया कि वह इस मेला में 6 साल से पहुंच रहे हैं। जलती हुई चिता के पास बैठकर लोगों को सिद्ध करते हैं। मां तारा की कृपा से ही यह सबकुछ संभव होता है।
इस दौरान भीड़ नियंत्रण और किसी भी तरह की दुर्घटना से निपटने के लिए घाट पर बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स और मजिस्ट्रेट की तैनाती की जाती है। निगरानी के लिए ड्रोन और सीसीटीवी कैमरा लगाया गया था। लेकिन वर्षों से यहां चली आ रही भूतखेली को कोई नहीं रोकता है। यही कारण है कि यहां अंधविश्वास का खेल रातभर चलते रहता है। जलती हुई चिता के पास बैठकर तांत्रिक झाड़-फूंक करते दिखाई दिए।