नई दिल्ली। यदि गैर पंजीकृत विक्रय अनुबंध या पॉवर ऑफ अटॉर्नी है तो वे किसी काम के नहीं है। कानून की नजर में इनकी कोई वैल्यू नहीं है। इसलिए किसी प्रॉपर्टी के टाइटल ट्रांसफर के लिए रजिस्टर्ड दस्तावेज होना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि केवल सेल एग्रीमेंट या पावर ऑफ अटॉर्नी को टाइटल ट्रांसफर के लिए पर्याप्त नहीं माना जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 के तहत संपत्ति का मालिकाना तभी हो सकता है जब रजिस्टर्ड दस्तावेज हों।
कोर्ट ने जिस मामले में फैसला सुनाया है उसमें याचिकाकर्ता का कहना है कि वह संपत्ति का मालिक है और सपंत्ति उसके भाई द्वारा उसे गिफ्ट डीड के तौर पर दी गई थी। उसका कहना है कि यह संपत्ति उसकी है और कब्जा भी उसका है। जबकि दूसरे पक्ष ने संपत्ति पर दावा करते हुए कहा है कि उसके पक्ष में पावर ऑफ अटॉर्नी, हलफनामा और एग्रीमेंट टू सेल है। दूसरे पक्ष के जवाब में याचिकाकर्ता का कहना था कि जिन दस्तावेजों के आधार पर प्रतिवादी ने दावा किया है वह मान्य नहीं है। उन्होंने कहा है कि अचल संपत्ति का मालिकाना हक बिना रजिस्टर्ड दस्तावेज के नहीं हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात से सहमति जताते हुए कहा कि बगैर रजिस्टर्ड दस्तावेज के अचल संपत्ति का मालिकाना हक ट्रांसफर नहीं हो सकता इसलिए प्रतिवादी के दावे को खारिज किया जाता है। साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता की अपील भी स्वीकार कर ली। पावर ऑफ अटार्नी एक रह कानूनी अधिकार होता है जो किसी प्रॉपर्टी के मालिक द्वारा किसी दूसरे शख्स को दिया जाता है। पावर ऑफ अटॉर्नी मिलने से वह शख्स उस प्रॉपर्टी की खरीद या बिक्री से संबंधित फैसले कर सकता है। लेकिन यह प्रॉपर्टी का मालिकाना हक बिलकुल नहीं होता है। एग्रीमेंट टू सेल वह दस्तावेज होता है जिसमें खरीदार और विक्रेता के बीच प्रॉपर्टी से जुड़ी सारी डिटेल तय होती है। इसमें प्रॉपर्टी की कीमत और फुल पेमेंट के बारे में सारी जानकारी दर्ज होती है।