नई दिल्ली । राहुल की रैलियों, पार्टी की एकजुटता और भाजपा की खराब रणनीति से कांग्रेस ने तेलंगाना बंपर जीत हासिल की। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की अपनी सरकार थी, लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस सत्ता नहीं बचा पाई, जबकि तेलंगाना में कांग्रेस ने पूरी प्लानिंग के साथ चुनाव लड़ा और कांग्रेस की रणनीति व भाजपा की गलतियों से कांग्रेस तेलंगाना में सत्ता में आ गई।
तेलंगाना की धारणा बदलने की शुरुआत मई में कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के साथ हुई थी। उससे पहले कांग्रेस तेलंगाना में कहीं नहीं दिखती थी। उससे ज्यादा भाजपा दिखती थी।
यहां तक कि चंद्रशेखर राव की सरकार में नंबर दो रहे एटाला राजेंद्र भी पार्टी छोड़ कर भाजपा के साथ गए और मुनुगोडे के उपचुनाव में भाजपा की टिकट पर जीत हासिल की। भाजपा ने अपने प्रचार तंत्र के दम पर बीआरएस और के चंद्रशेखर राव के परिवार को पूरी तरह से बदनाम कर दिया था। पार्टी में फूट डाल दी थी। परंतु उसके पास इसका लाभ लेने का तंत्र नहीं था।तभी कर्नाटक की जीत के बाद नए जोश में कांग्रेस उत्तरी और बीआरएस विरोधी वोट को एक मजबूत खूंटा मिल गया। कर्नाटक के चुनाव से धारणा बनी कि मुस्लिम मतदाता कांग्रेस की ओर लौट रहा है। तेलंगाना में कांग्रेस को इसका फायदा मिला।
इन चुनावों में पार्टी ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर इमोशनल कार्ड भी खेला और लोगों को यह बताया कि मेडक लोकसभा सीट से 1980 के चुनाव में वह जीत चुकी हैं और तेलंगाना कांग्रेस का अपना घर है। कांग्रेस की सरकार में ही तेलंगाना को अलग राज्य बनाया गया था लेकिन इसके बाद पार्टी का वहां से सफाया हो गया था। पार्टी का यह इमोशनल कार्ड भी काम कर गया और पार्टी चुनाव जीतने में कामयाब रही। पिछले साल तक कांग्रेस के तेलंगाना में जीतने के कोई आसार नहीं थे, क्योंकि सत्ताधारी पार्टी बी. आर. एस. अपनी जीत को लेकर आश्वस्त थी और भाजपा का इस राज्य में कोई खास आधार नहीं है। लेकिन इस साल कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी को मिली जीत से कांग्रेस के हौसले बुलंद हुए और कांग्रेस ने पूरी ताकत के साथ तेलंगाना में चुनाव लड़ा।
राहुल गांधी द्वारा निकाली गई भारत जोड़ो यात्रा के दौरान तेलंगाना में बहुत उत्साह देखने को मिला था और पार्टी जमीनी स्तर पर इस उत्साह को भांप गई। पार्टी का राज्य में अच्छा खासा कैडर है और इस कैडर को चुनाव के लिए सक्रिय किया गया। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के अलावा स्टेट लीडरशिप द्वारा निकाली गई विजय भूमि यात्रा में भी राहुल गांधी ने भाग लिया। इससे भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं और जनता में अच्छा संदेश गया। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पूरे चुनाव के दौरान तेलंगाना में सक्रिय रहे और पल पल की फीडबैक लेते रहे। कर्नाटक में जीत के बाद पार्टी ने कर्नाटक के अपने सारे शीर्ष लीडर तेलंगाना में डयूटी पर लगा दिए।