नई दिल्ली । भाजपा ने प्रत्येक बूथ पर 50 प्रतिशत से अधिक मत प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके आधार पर पार्टी ने -बूथ जीतो चुनाव जीतो- का नारा दिया है। यह सिर्फ नारा नहीं बल्कि किसी भी पार्टी के लिए चुनाव में विजय प्राप्त करने का मंत्र है। मजबूत बूथ प्रबंधन से ही इसे प्राप्त किया जाता है। दिल्ली में भाजपा के तमाम दावों के बाद भी सिर्फ पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी इस लक्ष्य को प्राप्त कर सकी है। उसके बाद हुए विधानसभा व नगर निगम चुनावों में पार्टी का मत प्रतिशत 40 प्रतिशत के आसपास रहा और उसे पराजय का सामना करना पड़ा है, जिससे बूथ प्रबंधन की कमिया उजागर हो गई है। अब पार्टी के सामने इस कमी को दूर करने का चुनौती है।
इसे ध्यान में रखकर बूथ प्रबंधन में बदलाव किए जा रहे हैं। अब तक के चुनाव में पंच परमेश्वर व पन्ना प्रमुख की तैनाती भाजपा की चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा रहा है। बूथ स्तर पार्टी को मजबूत करने और समर्थक मतदाताओं को बूथ तक पहुंचाने की इनकी जिम्मेदारी होती है। दिल्ली भाजपा बूथ स्तर पर पंच परमेश्वर व पन्ना प्रमुखों की तैनाती का दावा करती रही है, लेकिन वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद इसे लेकर कई कार्यकर्ताओं ने प्रश्न खड़े किए थे। बाद में मोदी लहर पर सवार होकर लोकसभा चुनाव में जीत मिलने, वर्ष 2017 के नगर निगमों के चुनाव में भाजपा, आप व कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय लड़ाई में बाजी मारने से बूथ प्रबंधन की कमियों पर पर्दा डल गया था।