- हार के नतीजों पर कांग्रेस ने किया मंथन, अंदरूनी खींचतान बनी वजह

हार के नतीजों पर कांग्रेस ने किया मंथन, अंदरूनी खींचतान बनी वजह


नई दिल्ली । छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में अपनी हार की वजह ढूंढने के ‎लिए कांग्रेस ने समीक्षा बैठक बुलाई। इसमें अहम कारण यही ‎निकलकर सामने आया है ‎कि पार्टी अपनी अंदरूनी खींचतान की वजह से हारी है। इसके साथ ही हार का दूसरा कारण भूपेश बघेल सरकार के ग्रामीण इलाकों पर बहुत ज्यादा फोकस करना और भाजपा की ‘सांप्रदायिक लामबंदी’ सामने आई है। कांग्रेस पार्टी की टॉप लीडरशिप ने शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के नेताओं के साथ हार पर लंबा विचार-मंथन किया। जिसमें ये राय उभरकर सामने आई। कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में मध्य प्रदेश चुनावों में हार की समीक्षा भी हुई।

गांवों पर ज्यादा ध्यान, अंदरूनी खींचतान... छत्तीसगढ़ नतीजों पर कांग्रेस ने  किया मंथन, हार की मिली ये वजह - Excessive rural focus infighting led to  debacle in chhattisgarh ...

 

इस बैठक में राहुल गांधी, कमल नाथ, दिग्विजय सिंह और रणदीप सुरजेवाला सहित वरिष्ठ नेता शामिल हुए। कांग्रेस की इस बैठक में ईवीएम की भूमिका पर सवाल उठाए गए। कुछ नेताओं ने कहा कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस का ध्यान महज एक व्यक्ति कमलनाथ पर था, जिसके कारण पार्टी ने भाजपा के खिलाफ समुदायों के सामूहिक नेताओं को खड़ा करने का काम नहीं किया। भाजपा के ओबीसी वर्चस्व को भी रेखां‎कित ‎किया गया, इसमें ओबीसी वाली लगभग 80 फीसदी सीटें जीतीं और शहरी इलाकों में लोगों ने भाजपा को वोट दिया। 

 

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कांग्रेस की बैठक में यह कहा गया कि यह काफी हद तक एससी/एसटी और अल्पसंख्यकों का मजबूत समर्थन था, जिसके कारण कांग्रेस ने अपना 2018 के चुनावों का वोट शेयर बरकरार रखा। छत्तीसगढ़ के बारे में कांग्रेस नेताओं ने कहा कि कांग्रेस ने 2018 का 42 फीसदी का अपना वोट शेयर लगभग बरकरार रखा था। मगर भाजपा ने अपने वोटों में पिछली बार से लगभग 13 फीसदी की बढ़ोतरी की। जो कि जोगी कांग्रेस जैसी पार्टियों को दर‎किनार कर छोटे वोटर समूहों को अपने पाले में करने का नतीजा था। यह भी बताया गया कि पूरी तरह से द्विध्रुवीय मुकाबला इस तथ्य से साफ था कि भाजपा और कांग्रेस कुल वोटों का 76 फीसदी हासिल करते थे, लेकिन इन चुनावों में उनके बीच 88।5 फीसदी वोट बंट गए।

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कांग्रेस की इस बैठक में जाति जनगणना पर चर्चा नहीं हुई, लेकिन इस बात पर ध्यान के‎‎न्द्रित ‎किया था कि कांग्रेस 18 शहरी सीटों में से दो को छोड़कर बाकी सभी सीटें हार गई। खासकर रायपुर इलाके में उसकी करारी हार हुई, जिसे मुख्यमंत्री बघेल का गढ़ माना जाता है। चुनाव के बाद स्थानीय विश्लेषकों ने शहरी इलाकों में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के लिए हिंदुत्व अभियान और जाति जनगणना पर पार्टी के जोर को जिम्मेदार ठहराया है। जब‎कि सरकार का ग्रामीण फोकस शहरों में असफलता का एक कारण बना है।

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