- चीनी मिलें बनाएंगी एथनॉल, गन्ने के रस व शीरे के उपयोग को मिली मंजूरी

चीनी मिलें बनाएंगी एथनॉल, गन्ने के रस व शीरे के उपयोग को मिली मंजूरी


नई दिल्ली । अब चीनी ‎मिलें गन्ने के रस व शीरे से एथनॉल बना सकेंगी। इसके ‎लिए सरकार ने मंजूरी दे दी है। बता दें ‎कि एक सप्ताह पुराना फैसला पलटते हुए सरकार ने आपूर्ति वर्ष 2023-24 में चीनी मिलों को एथनॉल बनाने के लिए गन्ने के रस और बी-हैवी शीरा दोनों का इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी। हालांकि इसके लिए अधिकतम 17 लाख टन चीनी की सीमा तय की गई है। सरकार ने यह फैसला एथनॉल बनाने के लिए गन्ने के रस और चीनी शीरे के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के एक सप्ताह बाद किया है। दरअसल उद्योग जगत इस फैसले को वापस लेने की मांग कर रहा था। 

 

Sugar mills got permission to make ethanol from sugarcane juice and  molasses After ban a week ago;चीनी मिलों को गन्ने के रस, शीरे से एथनॉल बनाने  की मिली मंजूरी, हफ्ते भर पहले

केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने पीटीआई-भाषा से कहा ‎कि आपूर्ति वर्ष 2023-24 में एथनॉल उत्पादन के लिए 17 लाख टन चीनी की कुल सीमा के भीतर गन्ने के रस और बी-हैवी शीरे दोनों का उपयोग करने का लचीलापन चीनी मिलों को दिया गया है। उन्होंने कहा कि मंत्रियों की एक समिति ने बैठक के दौरान यह निर्णय लिया। समिति ने पिछले सप्ताह लगाए गए प्रतिबंध को वापस लेने के बारे में उद्योग जगत से आई मांगों पर गौर करने के बाद यह फैसला किया। 

Sugar mills got permission to make ethanol from sugarcane juice and  molasses After ban a week ago;चीनी मिलों को गन्ने के रस, शीरे से एथनॉल बनाने  की मिली मंजूरी, हफ्ते भर पहले

इस दौरान चोपड़ा ने कहा कि इस संबंध में अधिसूचना जल्द ही जारी कर दी जाएगी। सरकार ने सात दिसंबर को एथनॉल उत्पादन में गन्ने के रस और चीनी सिरप के इस्तेमाल पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी। हालांकि तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) से मिले मौजूदा प्रस्तावों के लिए एथनॉल की आपूर्ति की अनुमति दी थी। चोपड़ा ने कहा कि चालू आपूर्ति वर्ष में गन्ने के रस से पहले ही कुछ एथनॉल बनाया जा चुका है।

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खाद्य मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि पिछला आदेश जारी करने से पहले गन्ने के रस से लगभग छह लाख टन एथनॉल बनाया जा चुका था। सरकार का अनुमान है कि चीनी सत्र 2023-24 में देश का चीनी उत्पादन घटकर 3.2-3.3 करोड़ टन रह जाएगा जबकि पिछले पेराई सत्र में यह 3.7 करोड़ टन से अधिक था। 

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