- अरविंद पनगढ़िया ‎वित्त आयोग के चेयरमैन बने

अरविंद पनगढ़िया ‎वित्त आयोग के चेयरमैन बने


नई दिल्ली। नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष और कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अरविंद पनगढ़िया को ‎वित्त आयोग का चेयरमैन बनाया गया है। सरकार ने एक गजट नोटिफिकेशन में यह जानकारी दी है। ऋतिक रंजन पांडेय को कमीशन का सेक्रेटरी बनाया गया है। चेयरमैन और कमीशन के दूसरे सदस्यों का कार्यकाल रिपोर्ट सौंपे जाने या 31 अक्टूबर 2025 तक होगा। कमीशन के दूसरे सदस्यों की नियुक्ति के बारे में अलग से नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। वित्त आयोग एक संवैधानिक संस्था है जिसका गठन संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत किया जाता है। इसका कार्य केंद्र और राज्यों की वित्तीय स्थितियों का मूल्यांकन करना, उनके बीच टैक्स के बटवारे की सिफारिश करना तथा राज्यों के बीच टैक्स के वितरण की रूपरेखा तय करना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोंदी ने पनगढ़िया को 2015 में नीति आयोग का पहला वाइस चेयरमैन बनाया था।

कौन हैं अरविंद पनगढ़िया, जिन्हें बनाया गया है 16वें वित्त आयोग का अध्यक्ष - Arvind  Panagariya ex NITI Aayog vice chairman is now new chairman of the Finance  Commission – News18 हिंदी

 

 मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में योजना आयोग को खत्म करके उसकी जगह नीति आयोग बनाया गया था। 30 सितंबर, 1952 को जन्मे अरविंद पनगढ़िया न्यूयॉर्क की कोलंबिया यूनिवर्सिटी में इकनॉमिक्स के प्रोफेसर हैं। इससे पहले वह एशियन डेवलपमेंट बैंक में टॉप इकनॉमिस्ट रह चुके हैं। साथ ही उन्होंने वर्ल्ड बैंक, इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड और वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन में भी कई पदों पर काम किया है। केंद्र सरकार ने हाल में 16वें फाइनेंस कमीशन की संदर्भ शर्तों यानी टर्म्स ऑफ रेफरेंस को मंजूरी दी थी।

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यह आयोग एक अप्रैल, 2026 से अगले पांच साल के लिए सिफारिशें देगा। कमीशन 31 अक्टूब, 2025 तक राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। पंद्रहवें वित्त आयोग का गठन 27 नवंबर 2017 को किया गया था। आयोग ने 2020-21 से 2025-26 तक छह साल की अवधि के लिए अपनी सिफारिशें दीं थीं। वित्त आयोग को अपनी सिफारिशें देने में आम तौर पर लगभग दो साल लगते हैं। संविधान के अनुच्छेद 280 के खंड (1) के अनुसार, वित्त आयोग का गठन हर पांचवें वर्ष या उससे पहले किया जाता है। 16वें वित्त आयोग के एडवांस सेल का गठन 21 नवंबर 2022 को वित्त मंत्रालय में किया गया था, ताकि आयोग के औपचारिक गठन तक प्रारंभिक कार्य की निगरानी की जा सके।
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