पटना । नौकरी के बदले जमीन मामले में लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार पर हुई ईडी कार्यवाही पर बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मामले में लालू प्रसाद यादव की पत्नी राबड़ी देवी और दो बेटियों पर प्रवर्तन निदेशालय ने जब मनी लांड्रिंग के पुख्ता सबूत मिलने पर आरोप-पत्र दायर किया है, तब आरोपियों की ओर से राजनीतिक जवाब देने का कोई अर्थ नहीं है।
बुधवार को जारी बयान में सुशील मोदी ने कहा कि जो लोग काले धन को छुपाने या उसे वैध सम्पत्ति दिखाने का अपराध करने वालों को पीड़ित बताने के लिए ‘घर की महिलाओं को फंसाने का विलाप कर रहे हैं, वे बताएं कि इन महिलाओं ने रेलवे में चौथी श्रेणी की नौकरी पाने वाले हृदयानंद चौधरी से 60 लाख रुपए की कीमती शहरी जमीन दान में क्यों ले ली। उन्होंने कहा कि हृदयानंद चौधरी ने पटना के पास दानापुर थाना क्षेत्र के अन्तर्गत महुआ बाग की 3375 वर्ग फुट भूमि तेजस्वी यादव की पांचवीं बहन हेमा यादव को मुफ्त में दान क्यों कर दी। इस ‘महान दानी ने हेमा यादव को ही भूमिदान के योग्य क्यों समझा और चौधरी ने ही क्यों स्टाम्प ड्यूटी के तौर पर 6.28 लाख रुपए भी स्टेट बैंक की मुख्य शाखा में जमा कराए।
भाजपा नेता ने कहा कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रवक्ताओं को इन सवालों का जवाब देना चाहिए, जबकि वे आरोपियों को प्रताड़ित बताने की राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राबड़ी देवी और हेमा यादव को जो जमीन दान में मिली, उसे राजद के एमएलसी अबू दोजाना की कंपनी को करोड़ों में बेच दिया गया। ईडी मनी लांड्रिंग के इसी मामले की जांच कर रही है। मोदी ने कहा कि इसी तरह राबड़ी देवी को 31 लाख रुपए मूल्य और हेमा यादव को 62 लाख की जमीन दान में देने वाले ललन चौधरी विधान परिषद में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं। उन्होंने कहा कि ललन चौधरी और हृदयानंद चौधरी दरअसल लालू परिवार के कालेधन और बेनामी सम्पत्ति को वैध करने का जरिया बने। राजद इन तथ्यों पर राजनीति का पर्दा डालना चाहता है।