- युवा जैन मिलन नेमिनाथ शाखा लश्कर ओर से जैन बाल युवा संस्कार शिविर में बच्चों को दे रहे है जैन धर्म की शिक्षा

युवा जैन मिलन नेमिनाथ शाखा लश्कर ओर से जैन बाल युवा संस्कार शिविर में बच्चों को दे रहे है जैन धर्म की शिक्षा

ग्वालियर। युवा जैन मिलन नेमिनाथ शाखा लश्कर के तत्वाधान में सात दिवसीय जैन बाल युवा संस्कार शिक्षण व योग शिविर दाना ओली स्थित दिगंबर खंडेलवाल जैन नया मंदिर में चल रहा है। शिविर के आज चौथे दिन गुरुवार को शिविर में जैन समाज के 350 बच्चो ने जैन धर्म के तीर्थंकर भगवान जिनेंद्र की विशेष पूजा अर्चना करना शीखी । शिविर के शिक्षकों से बच्चो ने पूछा कि हमे प्रातः जल्दी उठाकर माता पिता के चरण स्पर्श क्यो करना चाहिए, हम मंदिर में कैसे प्रवेश करें, हम भगवान का अभिषेक कैसे करें, हमें जिनेन्द्र देव को अर्घ्य कैसे समर्पित करें, हमे भगवान की आरधान कैसे करना चाहिए, भगवान की परिकमा देने से क्या होता है, हमें भगवान जिनेन्द्र का पूजन अष्ट्र द्रव्य जल, चन्दन, अक्षत, पुष्प, नैवेद, दीप, धूप, फल आदि पूजा सामग्री से पूजन और भक्ति करने से हमारे जीवन में क्या परिर्वतन आता है।वही इन प्रश्नों का जबाव में बच्चों व युवक एंव बालिकाओ को समझते हुऐ जैन बाल संस्कार शिविर के विद्वान शुद्धात्म जैन शास्त्री, पवन जैन शास्त्री, श्री मति मंजू जैन एवं आकांक्षा जैन ने बच्चो को समझते हुए कहा कि यह बातें हमे भले ही सरल लगती हो लेकिन इनका मंहत्तव और ज्ञान होना बहुत जरूरी है। जैन समाज के प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया की शिविर में प्रतिदिन सुबह 06 : 30 बजे से बच्चो योग अभ्यास, भगवान जिनेंद्र का अभिषेक, पूजन, प्रार्थना के उपरांत बच्चो को कक्षाएं में जैन धर्म का अध्ययन करते है। *पूजा अर्चना करते हुऐ प्रत्येक क्रिया का ध्यान रखना बड़ा मंहत्तव* जैन धर्म के विद्वानगणो ने शिवार्थी बच्चों को पूजन की विधि पूर्वक सिखाते हुऐ बताया कि जिनेन्द भगवान की पूजा अर्चना करते हुऐ प्रत्येक क्रिया का ध्यान रखना बड़ा मंहत्तव और ज्ञान का होना भी अंत्यन्त आवश्यक है, तभी हमारे अन्दर के भाव व श्रध्दा से उस क्रिया मे जाग्रत होगें। विना भावो के प्रभु का पूजन नही होता वह तो मात्र क्रिया कहलाती है, और हम मंदिर मे मात्र क्रिया करने के लिए नही बल्कि तीन लोक के नाथ की आरधना करने जाते है। *शिविर बच्चों बताया माता पिता भगवान का रूप है। भगवान जिनेंद्र का अभिषेक पूजन करना चाहिए।* शिविर के निर्देशक रवि जैन ने बच्चों का बताया कि हमे अपने माता पिता के चरण इसलिए छुने चाहिए क्योकि माता पिता का जो रूप होता है वह भगवान का दुसरा रूप होते है। हमे भगवान का अभिषेक शुध्द वस्त्र पहनाकर एवं शुध्द जल से दो हाथो में कलशा लेकर मंत्र का उच्चारण कर अभिषेक करना चाहिए। शिविर में युवा जैन मिलन नेमिनाथ शाखा के अध्यक्ष ऋषभ जैन, शिविर संयोजक पारस जैन, मंत्री तरुण जैन, सम्यक जैन, प्रियांशु जैन, दिशांत जैन, रितिक जैन,निकुंज जैन, अमित जैन, दीपांशु जैन, मोक्ष जैन आदि मौजूद थे।

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