MP News: बच्चों को स्वर्ग स्थान पर बैठने के लिए मजबूर किया जाता है। दो, तीन दिन पहले हुई बारिश में किताबें भी अच्छी। क्लासरूम में वॉटर फ्रैंक पर स्ट्रॉस्ट्रल ने फ्लोरिडा स्ट्रॉमास्ट को भी प्रस्तुत किया।
दमोह जिले के तेंदू ब्लॉक के ग्रामीण क्षेत्रों में कई सरकारी स्कूलों की स्थिति खराब है। शहरी क्षेत्र में भी ऐसे हैं हालात। शहर के वार्ड दो में संचालित सरकारी प्राइमरी स्कूल भवन की छत से बारिश का पानी टपक रहा है, जहां पर रोक के लिए पॉलिथीन बांधी जा रही है। वहीं स्कूल में किताबें किताबें पानी में भीगने के कारण बेरोजगारी पर सुखाई जा रही हैं।
स्कूल भवन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है, इस कारण यहां पढ़ने वाले बच्चे डॉक्टर के साए में जी रह रहे हैं, कोठार का मसाला है और बच्चे एक ही जगह पढ़ाई करते हैं। क्लासी भी पार्टियाँ हैं और ज़रा सी रेन स्काई में पानी भर जाती हैं। स्कूल देखने से ऐसा लगता है कि जैसे कि ईस्टर्न से इसकी लीज के लिए कोई फंड नहीं मिला है। यहां इंजीनियरों का कहना है कि ऐसी स्थिति पहली बार नहीं बल्कि हर साल होती है। कई सारे उदाहरण तो ऐसे होते हैं कि ऐसा लगता है जैसे यहां बाकी लोग हों। स्कूल की बिल्डिंग पूरी तरह से खंडहर हो चुकी है, जहां पढ़ने वाले बच्चे डर के साये में रहते हैं।
ऐसे में शुक्रवार को द गार्जियन स्कूल में मिडिल और क्लास के विद्यार्थियों की स्थिति का आकलन किया गया। स्कूल की छत बिल्कुल तरह से टूटी हुई है, कई जगह से पानी गिरता है। रेस्तरां का मसाला तैयार किया जाता है और बच्चे एक ही जगह पढ़ाई करते हैं। क्लासी भी पार्टियाँ हैं और ज़रा सी रेन स्काई में पानी भर जाती हैं। स्कूल को देखने से ऐसा लगता है जैसे कि ईस्टर के लिए इसकी लीज के लिए कोई फंड नहीं मिला है तो कई स्काईज में ऐसी स्थिति है कि उन्हें देखने से ऐसा लग रहा है जैसे यहां सभी छात्र रहते हैं।